तेजी से बढ़ती गर्मी और कोयले की भारी किल्लत के कारण, देश में नया बिजली संकट (Power Crises) पैदा हो गया है। बिजली की माँग (Electricity Demand) में बढ़ोत्तरी के कारण दिल्ली, पंजाब, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में भारी बिजली की कटौती (Power Cut) हो रही है और बताया जा रहा है कि कई जगहों पर लगातार 8 से 12 घंटे की बिजली काटी जा रही है।
गौरतलब है कि देश में बिजली की 70 फीसदी माँग कोयले (Coal) के जरिये पूरी होती है, लेकिन देश भर के थर्मल प्लांट्स में कोयले की पूर्ति बाधित हुई है। इसकी वजह यह है कि देश में कोरोना महामारी की स्थिति सामान्य होने के बाद, बाजार तेजी से खुले हैं और बिजली की माँग में भी काफी तेजी आई है, लेकिन फिलहाल कोयला रिजर्व फिलहाल सिर्फ 8 दिन का ही बचा हुआ है, जो अमूमन 15 दिनों का रहता है।
बता दें कि बीते साल भी कोयले की कमी के कारण, देश भर में बिजली की काफी दिक्कत आई थी।
वहीं, इस साल अभी सिर्फ अप्रैल का महीना ही चल रहा है और मानसून का मौसम आने के साथ ही, यह समस्या और अधिक बढ़ सकती है। क्योंकि, बारिश के मौसम में खदानों में पानी भरने के साथ ही ट्रांसपोर्टेशन में भी काफी दिक्कत आती है। इन्हीं चिन्ताओं को देखते हुए, मानसून आने से पहले ही कोयले का स्टॉक जमा किया जाता है, लेकिन इस बार काफी पहले ही भारी माँग के कारण ऐसा हो पाना मुश्किल है।
अपनाएं Inverter Battery, Generator के मुकाबले खर्च होगा आधा!
इसके साथ ही, बताया यह भी जा रहा है कि पिछली बार बिजली की किल्लत रेसिडेंसियल इलाकों (Resisdentail Sectors) में ज्यादा थी, लेकिन इस बार कमर्शियल इलाकों (Commerical Sectors) में ज्यादा परेशानी होने वाली है।
लोग तलाश रहे विकल्प
बिजली के बिना आज जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। बिजली की किल्लत के कारण, सबसे ज्यादा दिक्कत कारोबारियों को होती है। क्योंकि, इसके बिना उनका काम बिल्कुल बंद हो जाता है और जिससे अंत में देश की अर्थव्यवस्था को ही सबसे ज्यादा नुकसान होता है।
ऐसे में, उन्हें एक विश्वसनीय पावर बैकअप सॉल्यूशन की तलाश होती है। ऐसे में कुछ लोग जनरेटर की तरफ रुख करते हैं, तो कुछ लोग इन्वर्टर बैटरी की ओर।
लेकिन, लोगों के लिए जनरेटर इस्तेमाल करना काफी महंगा साबित होता है और इससे पर्यावरण को भी काफी क्षति होती है। वहीं, पुरानी टेक्नोलॉजी वाली इन्वर्टर बैटरी से उन्हें 3 से 4 घंटे के लिए राहत तो मिल जाती है, लेकिन उन्हें लंबे समय के समाधान के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में, लूम सोलर की लिथियम ऑयन बैटरी CAML100 उनकी हर परेशानी का जवाब है। यह बैटरी चार बैटरी के बराबर अकेले है और इसे IOT से लैस किया गया है, यानी इसे आप कहीं से भी आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं।
इस बैटरी को चार्ज करने के लिए सिर्फ डेढ़ घंटे समय की जरूरत पड़ती है। साथ ही, यह बैटरी पूरी तरह से जीरो मेंटेनेंस है।
Generator पर कितना होगा खर्च
किसी भी ऑफिस को चलाने के लिए सामान्य रूप से 15 किलोवाट जनरेटर की जरूरत पड़ती है। लोगों को जनरेटर खरीदने में करीब 2 लाख रुपये खर्च होते हैं और इस पर प्रति वाट करीब 27 से 30 रुपये का खर्च आता है। इस तरह, यदि किसी ऑफिस में यदि दो घंटे भी जनरेटर का इस्तेमाल होता है, तो हर दिन करीब 1000-1500 रुपये का खर्च आता है।
वहीं, जनरेटर को चलाने के लिए, लोगों को हमेशा एक स्टाफ की जरूरत पड़ती है, जिसकी सैलरी कम से कम 15,000 से 20,000 रुपये होती है। वहीं, इसके रखरखाव में भी 1000-1500 रुपये का खर्च आसानी से आता है। इस तरह, जनरेटर पर हर महीने कम से कम 50 हजार का खर्च आना कोई बड़ी बात नहीं है।
वहीं, जनरेटर में आप पावर को स्टोर करके नहीं रख सकते हैं। यानी आप जितनी बिजली का उत्पादन कर रहे हैं, उतना खपत भी करना होगा। अन्यथा बिजली यूं ही बर्बाद हो जाएगी।
Inverter Battery पर कितना होगा खर्च
लूम सोलर के अत्याधुनिक तकनीकों से लैस लिथियम ऑयन बैटरी को लगाने के लिए 6 लाख से 7.5 लाख रुपये का खर्च आता है। हालांकि, इस पर एसी नहीं चलेगा। यदि किसी को अपने ऑफिस में बैटरी पर एसी चलाने हैं, तो इस पर करीब 20 लाख रुपये का खर्च आएगा।
बैटरी लगाने से आपका खर्च प्रति वाट आवर करीब 15 रुपये का आएगा, जो जनरेटर से सीधे आधा है। वहीं, यदि आप सरकारी बिजली पर अपनी निर्भरता बिल्कुल खत्म करना चाहते हैं, तो आप सोलर सिस्टम की ओर रुख कर सकते हैं।
Factors | Generators | Inverter Battery |
1. Purpose | Generator is an ideal use for Industrail establishments, such as manufacturing plants | Inverter Battery is an ideal use for Commerical estabilishments, such as offices, schools, clinics, petrol pump, etc. |
2. Storage | There is no storage, we have to run maximum appliances as per generator capacity | There is storage, we can run as per our need |
3. Generation | Can be used for extended periods of time, as long as there is enough fuel to run it | Can be used for limited duration until battery is charged |
3. Technician | Required | Not Required |
4. Costing |
Initial Costing: Rs. 2,00,000 Operating Costing: Rs. 30 per watt hour |
Initial Costing: Rs. 7,50,000 Operating Costing: Rs. 15 per watt hour |
5. Installation Space | 400 sq. ft. | 10 sq. ft. |
व्यक्तिगत तौर पर भी होगी कई बाध्यताएं
कई सोसायटी में व्यक्तिगत स्तर पर जनरेटर इस्तेमाल करने की मनाही होती है। ऐसे में, लोगों को प्रति यूनिट करीब 15 से 16 रुपये का बिल आता है। वहीं, सोलर से उन्हें 3-4 रुपये में बिजली मिल जाती है।
वहीं, एक बार सोलर पैनल लगा लेने के बाद, आप कम से कम 25 वर्षों के लिए निश्चिंत हो जाएंगे।
इस तरह, देखा जाए तो सोलर की ओर शिफ्ट करना, शुरुआती दिनों में भले ही महंगा लगता हो, लेकिन एक बार निवेश कर देने के बाद, लोगों की जिंदगी काफी आसान हो सकती है और उनका खर्च कुछ ही महीनों में वापस आ सकता है और बाद के दिनों में वे लगभग फ्री बिजली का आनंद ले सकते हैं।
निष्कर्ष
आज देश में बिजली की समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है, क्योंकि अधिकांश रूप से इसका उत्पादन कोयले से हो रहा है, जो कि एक प्राकृतिक संसाधन है और इसकी मात्रा सीमित है।
ऐसे में, सोलर की ओर रुख करना आज समय की जरूरत है। यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम अपना कर, खुद को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो एक्सपर्ट गाइड के लिए हमसे संपर्क करें। हमारे इंजीनियर आपके साइट पर जाएंगे और आपकी जरूरतों को समझते हुए, पूरी मदद करेंगे।