कौन-सा सोलर पैनल अच्छा है, घर के लिए कितने किलोवाट सोलर पैनल चाहिए, एक बैटरी के साथ कितने सोलर पैनल की आवश्यकता होती है, दो बैटरी है तो कितने सोलर पैनल की आवश्यकता होगी, यदि घर का बिल 2000 रूपये का है तो कितने सोलर पैनल की जरूरत होगी, ऑन - ग्रिड सोलर अच्छा है या फिर ऑफ - ग्रिड सोलर सिस्टम अच्छा रहेगा - इत्यादि अलग - अलग तरह के विचार दिमाग में आते है जब भी सोलर पैनल खरीदने का सोचते है |
इसके लिए ना जाने कितनी सारी वेबसाइट पर जाकर जानकारी लेते है और कई बार तो जिन लोगो के पहले से सोलर पैनल लगे है उनसे भी जाकर पूछते है कि मुझे भी सोलर पैनल लगाना है, कौन-सा सोलर अच्छा रहेगा | अब वह व्यक्ति उसके साथ हुए अनुभव को हमें बताएगा यदि उस व्यक्ति के यहाँ पर सोलर सही से लगाया हुआ होगा तो सोलर को अच्छा बताएगा और यदि सोलर लगाने आए लोगो ने सही से काम नही किया होगा तो वह सोलर लगाने से हमे मना करेगा| यदि किसी दुकानदार के यहाँ पर जायेंगे तो जो भी कंपनी ज्यादा मुनाफ़ा दे रही होगी उस कंपनी का सोलर लगाने की सलाह देगा|
यह ब्लॉग सोलर खरीदते समय होने वाली धोखाधड़ी के प्रति लोगो को जागरूक करने के लिए लिखा है सोलर उपभोक्ताओं को पूर्ण ज्ञान का अभाव होने के कारण वह धोखाधड़ी का शिकार हो जाते है|
पिछले कुछ सालों के अंदर सोलर मार्केट काफी तेजी से आगे बढ़ा है इसी के साथ - साथ सोलर के अंदर कई सारी नई कंपनियां आई है, इनमें कुछ कंपनियां बहुत ही बढ़िया तरीके से काम कर रही है| लेकिन कुछ कंपनियां ऐसी भी है जो लोगों को सोलर का पूर्ण ज्ञान न होने का कारण फायदा उठा रही है| ऐसे में सोलर उपभोक्ताओं के लिए सही सोलर का चयन करना काफी मुश्किल है| इसीलिए आज के इस ब्लॉग के अंदर मैं आपको कुछ पांच ऐसी बातों के बारे में बताऊंगा जो आप लोगों के सोलर खरीदते वक्त बहुत ज्यादा काम आएगी और आप सोलर में होने वाली धोखाधड़ी से आसानी से बच पाएंगे|
एक अनुभव -
कुछ दिन पहले हुए मेरे साथ एक अनुभव को मैं आप लोगों के साथ साझा करना चाहता हूं मैं एक दिन एक इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान पर तार खरीदने गया उस वक्त वहां पर किसी दूसरे कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटर भी बैठा था जब मैंने दुकानदार से हैवेल्स का तार मांगा, तो उसने मुझे हैवेल्स की जगह उस डिस्ट्रीब्यूटर की कंपनी का तार खरीदने की सलाह दी| लेकिन मुझे पता था कि मुझे हैवेल्स का तार ही लेना है इस पर मैंने दूसरे किसी कंपनी का तार लेने से मना कर दिया | फिर डिस्ट्रीब्यूटर मुझे उसकी कंपनी तार की तारीफ करके बताने लगा और उसके वायर के ऊपर से रबड़ हटा कर दिखाने लगा तकरीबन तीन से चार बार कोशिश करने के बाद में उसके तार के ऊपर से रबड़ पड़ता है जबकि हैवेल्स के तार पर से एक बार में ही रबड़ हट जाता है| तो इस अनुभव से मैं आप लोगों को यह बताना चाहता हूं कि किसी भी बस हम दे देखकर पहचान सकते है |
यदि हम बात करते हैं सोलर पैनल के तो मार्केट के अंदर काफी सारी सोलर पैनल बनाने वाली कंपनियां मौजूद है इनमें से ज्यादातर जो कंपनियां है वह भारत की ही है और बहुत ही कम मात्रा में चीन से सोलर पैनल भारत आते हैं वर्तमान समय में लोगों में सोलर की पूर्ण जागरूकता नहीं है जिसके कारण क्या होता है कि जब सोलर उपभोक्ता सोलर पैनल खरीदने मार्केट जाते हैं तो उन्हें अंडर वोल्टेज पैनल या फिर किसी बड़ी परियोजना में काम में आए हुए पुराने पैनल को ही साफ करके दे दिया जाता है और सोलर उपभोक्ताओं को पूर्ण ज्ञान ना होने के कारण वह इस चीज की जांच नहीं कर पाते हैं और धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं लेकिन मैंने आपके लिए कुछ पांच ऐसे चीजों की सारणी तैयार की है जिसकी मदद से आप सोलर पैनल को आसानी से जान सकते हैं कि वह कितनी बिजली बना रहा है क्या उसके अंदर काम में आने वाली हर वस्तु अच्छी गुणवत्ता का है या नहीं|
जब हम बाजार से कोई नया स्मार्टफोन खरीदने जाते हैं तब हम उस स्मार्टफोन में कई सारी छोटी छोटी चीजों का खास करके ध्यान देते हैं जैसे कि उसके अंदर कैमरा कौन सा है, उसके अंदर स्टोरेज क्षमता कितनी है, उसके अंदर प्रोसेसर कौन सा है, और इसी के साथ साथ दिखने में कैसा है और उसकी बैटरी कितने देर तक चलती है, तो जब ₹10,000 से ₹20,000 का फोन खरीदते वक्त हम इतनी सारी चीजों का ध्यान देते हैं तो ₹2,00,000 से ₹3,00,000 के सोलर पैनल लेते वक्त हम यह सारी चीजें क्यों नहीं देखते की सोलर पैनल के अंदर कौन से सेल (Cell) काम में आया हुआ हैं, क्या वह पॉलीक्रिस्टलाइन सेल है या फिर मोनोक्रिस्टलाइन सेल है, उसके अंदर जंक्शन बॉक्स कौन सा है, उसके अंदर टेंपर्ड ग्लास लगा हुआ है या नहीं, और उसके अंदर एल्युमिनियम की फ्रेम है या नहीं |
पांच मुख्य बातें जिनका ध्यान रखें हम सही सोलर पैनल की परख कर सकते हैं -
- दक्षता (Efficiency)
- सहनशीलता (Durability)
- वारंटी (Warranty)
- तापमान गुणांक (Temperature Coefficient)
- उपभोक्ता समीक्षा (Consumer Reviews)
~1. सोलर पैनल की दक्षता (Efficiency)
सोलर पैनल की दक्षता का मतलब है सोलर पैनल कितनी बिजली पैदा करता है| सामान्यतः 1 वर्ग मीटर का पैनल पर 1 किलो वाट सूरज की किरण पड़ता है| कहने का तात्पर्य है कि जितने कम जगह में सोलर जितनी ज्यादा बिजली पैदा करेगा उसकी दक्षता उतनी ही ज्यादा होगी| आमतौर पर भारत में 2 तरीके के सोलर पैनल मिलते हैं - मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल: मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल नवनीत या लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के सोलर पैनल होते हैं जो कम धुप और बादल वाले मौसम में काम करता है| मोनोक्रिस्टलाइन पैनल काले रंग का होता है| इनकी दक्षता 18% - 22% होती है|
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल: पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल भारत में ज्यादा मात्रा में देखे जाते हैं क्योंकि इनकी कीमत मोनोक्रिस्टलाइन पैनल से कम होती है| पॉलीक्रिस्टलाइन सेल नीले रंग के होते हैं इनकी दक्षता 15% - 17% होती है|
हम सोलर पैनल की दक्षता या एफिशिएंसी को हाथ लगाकर पता नहीं लगा सकते हैं इसे मापने के लिए हमें क्लैंप मीटर या मल्टीमीटर की आवश्यकता होगी| क्लैंप मीटर की मदद से हम सोलर पैनल के वोल्टेज और करंट को आसानी से माप सकते हैं
~2. सोलर पैनल की सहनशीलता (Durability)
सोलर पैनल की सहनशीलता उसके अंदर काम में आने वाले छोटे-छोटे चीजों पर निर्भर करती है| एक सोलर पैनल को बनाने के लिए कई सारी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें सोलर सेल (Solar Cell), एलुमिनियम फ्रेम (Aluminium Frame), जंक्शन बॉक्स(Junction Box), तार Wire), MC4 कनेक्टर (MC4 Connector), टेक्निकल लेवल (Technical Level), बैकसीट (Back sheet) और टेंपर्ड ग्लास (Tampered Glass), इत्यादि चीजों को काम में लिया जाता है |
सोलर सेल बहुत ही नाजुक होते हैं जिनके ऊपर यदि थोड़ा सा भी भजन या फिर दबाव पड़ने पर यह आसानी से टूट सकते हैं| भारत में अभी मुड़ने वाले सोलर सेल नहीं आए हैं जिसके कारण इनकी सुरक्षा के लिए ऊपर टेंपर्ड ग्लास को लगाया जाता है| टेंपर्ड ग्लास नॉर्मल गिलास की तुलना में काफी मजबूत होते हैं घरों के अंदर सामान्यतः फ्रिज के अंदर टेंपर्ड ग्लास की ट्रे होती है जो काफी मजबूत होती है और इनके ऊपर कितना भी आप वजन रख सकते हो यह टूटती नहीं है इसीलिए सोलर पैनल के ऊपर इसका प्रयोग किया जाता है ताकि सोलर पैनल के ऊपर धूप, पानी, पत्थर और कई सारी चीजों से बचाव किया जा सके |
दूसरा सुरक्षा के लिए एल्युमीनियम के ढांचे का प्रयोग किया जाता है आपने देखा होगा कि घरों के अंदर काम में आने वाले एल्युमिनियम के बर्तन काफी मजबूत होते हैं और कई सालों के काम में लेने के बावजूद भी इनमें किसी प्रकार का कोई जंग वगैरह नहीं आता है इसी कारण सोलर पैनल के अंदर भी एल्युमीनियम का प्रयोग किया जाता है ताकि इसके कुछ ना बिगड़े|
तीसरी जो चीज सोलर पैनल में काम आती है वह है जंक्शन बॉक्स - वर्तमान समय में मार्केट में IP68 और IP67 दोनों जंक्शन बॉक्स मौजूद है इनमें IP68 पूरी तरह वाटरप्रूफ होते हैं जबकि दूसरे IP67 पानी से कुछ ही देर तक बचा कर रख सकते हैं| जंक्शन बॉक्स के अंदर एक डायोड (Diode) लगा होता है जो करंट को एक ही दिशा में जाने के लिए बाधित करता है जिससे बैटरी से सोलर पैनल में करंट नहीं जा सके|
अंत में डीसी तार और MC4 कनेक्टर लगे हुए होते हैं सामन्यता सोलर पैनल में 4 mm और 6 mm डीसी तार का प्रयोग किया जाता है| डीसी तार सामान्य ताल की तुलना में अधिक बिजली के चालक होते हैं इसमें करंट की हानि बहुत ही कम मात्रा में होती है| इस तार में बहुत ही छोटे-छोटे तार होते हैं इसके साथ में आगे MC4 कनेक्टर लगा हुआ होता है जो तार को दूसरे तार से जोड़ने के लिए काम में आता है MC4 कनेक्टर शॉर्ट सर्किट होने से बचाता है| MC4 कनेक्टर को इंस्टॉल करना बहुत ही आसान है
यदि सोलर पैनल में यह सभी चीजें मौजूद हैं तो हम यह कह सकते हैं की सोलर तेज धूप बारिश, पत्थर और किसी भी भारी वजन से आसानी से बचा हुआ रहेगा|
~3. सोलर पैनल की वारंटी (Warranty)
सोलर पैनल की वारंटी उसकी गुणवत्ता के ऊपर निर्भर करता है ज्यादातर सोलर कंपनियां 25 साल की वारंटी देती है लेकिन सोलर पैनल में में वारंटी दो तरह की होती है - पहला सोलर पैनल की वारंटी और दूसरा प्रदर्शन या परफॉर्मेंस वारंटी| सोलर पैनल की वारंटी में यदि सोलर पैनल के अंदर किसी प्रकार का कोई दिक्कत या खराबी आ जाए तो कंपनी उसे सही करके देगी लेकिन परफॉर्मेंस वारंटी में कंपनी यह वादा करती है की सोलर शुरुआत में जितनी बिजली बनाता है आने वाले समय में भी लगभग उतनी ही बिजली बनाएगा| सोलर पैनल खरीदते वक्त वारंटी हमेशा पता होनी चाहिए साथ ही यह भी चीज पता होनी चाहिए कि वारंटी किसके द्वारा दी जाएगी यानी कि वारंटी कंपनी के द्वारा है या जो वितरक या डीलर हमें वस्तु बेच रहा है वारंटी वह देगा क्योंकि कई बार देखा गया है कि कंपनी उपभोक्ताओं को वस्तु खराब होने के बाद में सही तरीके से सेवा प्रदान नहीं करती है जिससे काफी भागदौड़ के बाद में भी कोई हल नहीं निकलता है तो इसके लिए हमेशा अधिकृत वितरित या डीलर से ही सोलर पैनल खरीदें|
~4. सोलर तापमान गुणांक (Temperature Coefficient)
सोलर पैनल में तापमान गुणांक का मतलब होता है कि तापमान के बढ़ने या घटने पर सोलर के बिजली उत्पादन में कमी आती है| जब कंपनी के अंदर सोलर पैनल बनाया जाता है तो उसे 25 डिग्री पर जांचा जाता है कि वह कितनी बिजली बना रहा है|
लेकिन गर्मी के मौसम में वातावरण का तापमान 40 से 50 डिग्री तक हो जाता है और ऐसे में सोलर पैनल का तापमान 60 से 70 डिग्री तक पहुंच जाता है और सोलर के द्वारा कम बिजली उत्पन्न होती है और ठंड के मौसम में वातावरण का तापमान 15 से 17 डिग्री हो जाता है और सोलर का तापमान 10 डिग्री तक चला जाता है जिससे भी सोलर बिजली कम पैदा करता है
~5. उपभोक्ता समीक्षा (Consumer Reviews)
डिजिटल भारत में उपभोक्ता समीक्षा एक बहुत ही मजबूत और ताकतवर पहचान बन गए हैं| कोई भी नई वस्तु खरीदने से पहले उपभोक्ता सबसे पहले जाकर उस वस्तु की दूसरे उपभोक्ताओं के द्वारा दी गई समीक्षाओं को पड़ेगा और उसी के अनुसार अपने दिमाग में उस वस्तु के लिए छवि बना लेगा| लेकिन यह चीज काफी हद तक गलत है क्योंकि कंपनियां इस चीज का गलत लाभ उठाती है और उनकी कंपनी की वस्तुओं के ऊपर झूठी समीक्षा लिख जाती है ताकि जब भी कोई उपभोक्ता उन्हें पड़े तो वहां लिखी तारीख को पढ़कर वह उस वस्तु को खरीद ले| इसी के साथ साथ उपभोक्ता भी समीक्षाओं को धमकी की तरह लेते हैं यदि कंपनी के द्वारा उनको वस्तु समय पर नहीं पहुंचाई जाए तो वह इस चीज का गलत लाभ उठाते हैं तो जिस भी कंपनी की वस्तु आप खरीदने जा रहे हैं उस उस कंपनी की वेबसाइट पर जाकर वहां दी गई जानकारी को एक बार पूर्णतया जरूर पढ़ें|
उपभोक्ता समीक्षा या कस्टमर रिव्यु में हम यह चीज देख सकते हैं कि वस्तु कैसी थी, सर्विस कैसी थी, इंजीनियर का व्यवहार कैसा था, काम किस तरह से पूरा किया गया यह सारी चीजें हम कस्टमर रिव्यु के अंदर देख सकते हैं| जिससे आपको उस वस्तु के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी और आप किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से आसानी से बच सकते हैं|
हमने आपको पांच महत्वपूर्ण बातें बताएं दक्षता, सहनशीलता, वारंटी, तापमान गुणांक और उपभोक्ता समीक्षा के बारे में बताया घर में सोलर पैनल लगाना पूरे परिवार का निर्णय होता है सोलर पैनल लगाने भी एक तरीके का इन्वेस्टमेंट है यदि हम अपने घर में सोलर करने लग जाते हैं तो हर साल हम लगभग 20% तक मूल रुपए को प्राप्त कर सकते हैं और कुल रुपए को 4 से 5 साल के अंदर वापस प्राप्त कर सकते हैं और आने वाले 25 सालों तक बिना बिजली के बिल दिया बिजली को काम में ले सकते हैं|
कोई भी सोलर पैनल खरीदने से पहले देख ये वीडियो
यह विडियो बाजार में हो रहे सोलर धोखाधड़ी से आप लोगो को जागरुक करने के लिए बनाया गया है| मार्केट में कई सारी कम्पनिया ख़राब प्रोडक्ट को भी ज्यादा कीमतों में बेच रही है | इस विडियो की मदद से आप लोगो को कुल 5 एसी बातो के बारे में बताया है जो नया सोलर पैनल खरीदते वक्त आपको पता होनी चाहिए|
अंत में कई लोगों के दिमाग मैं यह बात आ रही होगी कि बिना वस्तु को देखे हम पैसे नहीं निवेश कर सकते हैं तो ऐसे में आप भारत की नंबर वन मोनोक्रिस्टलाइन पैनल निर्माता कंपनी लूम सोलर के पैनल को ऑनलाइन और ऑफलाइन मार्केट में आसानी से खरीद वह देख सकते हैं लूम सोलर के सलाहकार को हम एक कॉल करके अपने घर बुला सकते हैं और राय मशवरा करके पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं|
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