हमारे देश में सूर्य को देवता माना जाता है, और सूर्य देवता की आराधना भी होती है। शायद वाचक मित्रों को यह भी ज्ञात होगा की पृथ्वी पर, सेंकड़ों अरब साल पहिले, सूर्य से मिली हुई ऊर्जा के माध्यम से ही छोटे से छोटे जीवों का पहिले उद्भव हुआ था। आदि काल से आज तक पृथ्वी का समस्त वनस्पति एवं प्राणी जीवन सौर्य ऊर्जा पर पूरी तरह से निर्भर रहा है।
सूर्य देवता की ऊर्जा के माध्यम से ही पृथ्वी पर जीवन पनपा है, और आज का मनुष्य जीवन संभव हुआ है।
हमारे जीवन में ऊर्जा का महत्व
ऊर्जा के बिना मनुष्य जीवन और सामाजिक जीवन संभव नहीं है। शरीर चलाने के लिए, खाना पकाने के लिए, विविध प्रकार के वाहनों के लिए, उद्योगों के लिए, बिजली के उपकरणों के लिए – इन सभी के लिए ऊर्जा का उपयोग आवश्यक है।
एल॰पी॰जी॰, कोयला, पेट्रोल, डीजल इत्यादि ऊर्जा के आज के सामान्य साधन हैं। यह सब साधन भूगर्भ से निकलते हुए अलग अलग खनिज पदार्थों के ही विविध प्रकार हैं। वास्तव में यह सभी खनिज पदार्थ अरबों सालों पहिले पृथ्वी पर फैले हुए वनस्पति इत्यादि के खनिज अवशेष हैं। याने कि ऊर्जा के यह सभी साधन भी सूर्य से हमें मिली हुई एक देन ही है।
मगर भूगर्भ से मिलते हुए खनिज ऊर्जा के सभी साधन मर्यादित हैं, और आज वातावरण में बढ़ते हुए प्रदूषण का एक बडा कारण भी बन गए हैं। और क्योंकि इन साधनों को दूर दूर से जुटाया जाता है, तो इनकि आपूर्ति और कीमत में काफ़ी कुछ अनिश्चितता भी अकसर आ जाती है। हम सब यह तो जरूर समझ सकते हैं कि अगर अरब खाडी के आस पास युद्ध छिड गया तो भारत में पेट्रोल, डीजल इत्यादि की कीमतें काफी बढ़ सकती हैं।
नए युग की ऊर्जा का एक नया स्रोत – सौर्य ऊर्जा
सौर्य ऊर्जा से प्राप्त बिजली हमें लगभग घर आँगन में ही मिलती है, और इस से आसपास के वातावरण में किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता। इसी कारण से ऊर्जा के इस स्रोत को क्लीन एनर्जी कहा जाता है, याने कि प्रदूषण-मुक्त ऊर्जा।
सौर्य ऊर्जा की कुल कीमत और लागत आज काफी कम है, और औसतन इससे प्राप्त बिजली के एक यूनिट का खर्च पावर सप्लाय से मिलती बिजली के बराबर है, या फिर उस से कुछ कम ही है।
पावर सप्लाय से मिलती बिजली की अनिश्चितता को सौर्य ऊर्जा की मदद से कम किया जा सकता है। रूफ टॉप सोलर जैसी सरकार की योजनाओं की मदद से हम अपने घर पर लगाए हुए सौर्य ऊर्जा के साधनों से कुछ धन भी जुटा सकते हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा
सूर्य किरणों के द्वारा पृथ्वी के उपर एक घंटे में – सिर्फ एक घंटे में! – जितनी ऊर्जा आती है वह पृथ्वी के सारे मानव समुदाय के एक साल के उपयोग के लिए पर्याप्त है। याने कि सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी पर बहुत ही प्रचुर मात्रा में पहुँचती है।
पर वैज्ञानिकों ने कुछ थोडे ही सालों से सौर्य ऊर्जा को सोलर पैनल्स कि मदद से बिजली में रूपांतर करने की तकनीक को आम जनता के उपयोग के योग्य किया है – जिसमें ऊर्जा की लागत और कीमत पर भी खास ध्यान देना होता है। इसी कारण से ऊर्जा के इस स्रोत को नवीन ऊर्जा भी कहा जाता है।
हमारा सौभाग्य है कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंन्द्र मोदीजी सौर्य ऊर्जा के बहुत ही जोरदार पक्षकार और हिमायती रहे हैं – और वह भी ना केवल हमारे देश में, बल्कि आंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी। आने वाले सालों के लिए प्रधानमंत्रीजी ने सौर्य ऊर्जा का एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य देश के लोगों के समक्ष रखा है।
सौर्य ऊर्जा हर दिन हमें मिलती रहती है, ओर सूर्य के अंदर तो ऊर्जा का अक्षय भंडार ही है। इन कारणों से सौर्य ऊर्जा को अंग्रेजी में रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) का एक प्रकार कहा जाता है। भारत सरकार ने इसे हिन्दी में नवीकरणीय ऊर्जा नाम दिया है, पर इसे हम अक्षय ऊर्जा भी जरूर कह सकते हैं।
भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (अँग्रेजी में MNRE) को यह दायित्व दिया गया है कि सारे देश में सौर्य ऊर्जा उचित कीमत, लागत और गुणवत्ता के साथ उबलब्ध हो। इस बडे काम के लिए देश की हरेक राज्य सरकार में भी इससे संबन्धित एक अलग विभाग बनाया गया है। भारत सरकार एवं राज्य सरकारों ने सौर्य ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के हेतु से विविध प्रकार की योजनाएँ भी बनाई हैं, जिनकी माहिती हमारी वेबसाइट पर हम आपको देते रहेंगे।
आप के और आप के परिवार के सुखी जीवन के लिए अगर सौर्य ऊर्जा उपयोगी हो सकती है, तो जरूर आप हमारा संपर्क करें। हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि हम आपको उससे संबन्धित पूरी माहिती दें।
नए साल २०२० के प्रारंभ में हम सब यह मंगल संकल्प करें कि इस वर्ष में हम प्रदूषण-युक्त खनिज ऊर्जा की जगह प्रदूषण-मुक्त सौर्य ऊर्जा को अपनाने की ओर एक बडा कदम लें। इसके लिए बुद्धि और तकनीक की जो आवश्यकता है वह भारत के नागरिकों में पर्याप्त मात्रा में मौजूद है – और हमारी सरकार भी हमारे साथ है।
जय हिन्द!