देश में पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से हर आदमी त्रस्त है. यातायात के ज्यादातर साधनों में पेट्रोल का ही इस्तेमाल किया जाता है जिसकी कीमतें दिन प्रतिदिन आसमान छू रही हैं, इसलिए लोग परिवहन के साधन (Transportation) के लिए लगातार विकल्प तलाश रहे हैं लेकिन इसका कोई भी समाधान नहीं मिल पाया है. इसी कड़ी में कश्मीर का एक शख्स अपनी नई और रचनात्मक खोज के लिए इन दिनों चर्चा (viral) में है. दरअसल इस शख्स ने एक सौर ऊर्जा से चलने वाली कार का अविष्कार किया है.
क्या करते हैं बिलाल अहमद?
वायरल वीडियो में सौर ऊर्जा से चलने वाली इस कार को देखा जा सकता है. श्रीनगर के गणित के शिक्षक बिलाल अहमद लग्जरी कारों की तरह दरवाजे खोलने वाली एक सेडान की तस्वीरें वायरल होने के बाद ऑनलाइन ये शख्स भी वायरल हो गया है. बोनट से लेकर रियर विंडशील्ड तक, कार के लगभग सभी तरफ से को गई फोटो ऑनलाइन शेयर की गई है.
क्यों बनाया गया यह Car?
अहमद ने एक न्यूज एजेंसी को बताया है कि "मर्सिडीज, फेरारी, बीएमडब्ल्यू जैसी कारें एक आम व्यक्ति के लिए सिर्फ एक सपना है. कुछ ही लोग इसे वहन कर पाते हैं जबकि दूसरों के लिए ऐसी कारों को चलाना और उसमें घूमना एक सपना बना रहता है. मैंने लोगों को एक आलीशान एहसास देने के लिए कुछ सोचा”.
आगे उन्होंने ये भी बताया कि शुरू में उन्होंने विकलांग लोगों के लिए एक वाहन सुलभ बनाने की योजना बनाई, लेकिन धन की कमी की वजह से वो अधूरी थी. तभी पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के बीच, अहमद ने इसे सौर ऊर्जा से चलने वाली कार में बदलने की योजना बनाई. 11 साल की कड़ी मेहनत के बाद अहमद ये कार बनाने में सफल हुए हैं.
कैसे बनी है यह Solar Car?
रिपोर्ट्स के अनुसार अहमद ने बताया कि उन्होंने अपनी गाड़ी के लिए मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनलों का इस्तेमाल किया, जो कम सौर ऊर्जा के साथ भी अधिकतम ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने समझाया कि ये अधिक कुशल हैं और कम जगह कार की सतह पर लेते हैं जबकि अधिकांश स्पोर्ट्स कारों में केवल दो लोगों के बैठने की क्षमता होती है, वहीं अहमद ने चार लोगों के बैठने के उद्देश्य से अपने इस सौर ऊर्जा वाले वाहन का मॉडल तैयार किया था.
खर्च कितना हुआ?
आगे उन्होंने बताया है कि अब तक पूरी तरह से स्वचालित कार बनाने में कुल 15 लाख रुपये से अधिक खर्च किए हैं, जिसके लिए अहमद ने कहीं से किसी प्रकार की राशि उधार नहीं ली और न ही कहीं से कर्ज किया है. जबकि अहमद ये भी बताते हैं कि जब उन्होंने परियोजना शुरू की और इसे पूरा करने के बाद भी, किसी ने उनको कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जबकि उनको अगर जरूरी सहयोग मिला होता तो शायद वो भारत के एलोन मस्क होते.
अब जब अहमद का बनाया ये मॉडल तैयार हो चुका है और ये एक सफल प्रयोग भी सिद्ध हो चुका है तो अहमद को दुनिया भर से बधाई मिल रही है. अहमद अब न केवल नेटिजेन्स से बल्कि राजनेताओं से भी वाहवाही लूट रहे हैं.
Source:abplive.com