देश में डीजल और पेट्रोल के दाम में बेहताशा वृद्धि के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ी है। इससे बदलाव से न सिर्फ लोगों को हर महीने हजारों की बचत हो रही है, बल्कि वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने की कोशिशों को भी नई मजबूती मिली है।
फेडरेशन ऑफ डीलर्स एसोसिएशन के एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते एक साल के दौरान भारत में चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में करीब 300 फीसदी की तेजी आई है और यहां इसकी संख्या 2352 हो गई है। वहीं, दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग भी 430 फीसदी से अधिक बढ़ी है।
कौन हैं बड़े प्लेयर्स?
बाजार में फिलहाल, इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर सेगमेंट में टाटा, ह्युंडई, एमजी और महिंद्रा जैसी कंपनियों का दबदबा है, तो टू व्हीलर सेक्टर में सिम्पल वन, ओला, हीरो, टीवीएस, ओकिनामा जैसी कई कंपनियों ने सस्ते और किफायती वाहनों को लॉन्च कर, बाजार में अपनी पकड़ काफी मजबूत कर ली। वहीं, कई बड़ी कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख करने की तैयारी कर रही है।
क्या है मूल वजह?
देश में डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दामों के कारण, लोग इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ रुख तो कर ही रहे हैं। इसकी एक और वजह है भी है कि आज लोग गाड़ियों के कारण कार्बन उत्सर्जन और ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भी काफी जागरूक हो गए हैं। इसके अलावा, सरकार की फास्टर एडॉप्शन ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (FAME) और बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी जैसी नीतियों के कारण भी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री तेजी से बढ़ी है।
एक जानकारी के मुताबिक, बीते चार महीनों में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों में चार्जिंग स्टेशनों की संख्या 2.5 गुनी रफ्तार से बढ़ी है। इसके साथ ही, सरकार द्वारा तेल वितरक कंपनियों को 22,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन लगाने का लक्ष्य दिया गया है। इससे साफ है कि आने वाले कुछ महीनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में और तेजी आएगी।
चार्जिंग पर कितना आता है खर्च?
यदि आप इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने का मन बना रहे हैं, तो इसके चार्जिंग पर आने वाले खर्च के बारे में भी जानना जरूरी है। बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों में बिजली की दरें, अलग-अलग हैं। इसी वजह से चार्जिंग पर आने वाला खर्च भी, दूसरे शहर के मुकाबले अलग हो सकता है।
जैसे यदि आप मुंबई में अपनी इलेक्ट्रिक कार चार्ज करते हैं, तो आपको प्रति यूनिट 15 रुपया खर्च आएगा, वहीं बेंगलुरु में करीब 9 रुपया।
अमूमन, इलेक्ट्रिक कार को फुल चार्ज करने में 20 से 30 यूनिट बिजली की जरूरत पड़ती है। इस हिसाब से आपको हर चार्जिंग पर 200 से 400 रुपए का खर्च आसानी से आ सकता है।
वहीं, यदि इलेक्ट्रिक स्कूटर की बात करें तो, इसे फुल चार्ज करने के लिए करीब 3 किलोवाटऑवर बिजली की जरूरत होती है। इस दर से इलेक्ट्रिक स्कूटरों को एकबार चार्ज करने में करीब 45 रुपये का खर्च आता है।
इस लिहाज से, बिजली का इस्तेमाल कर इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करना डीजल और पेट्रोल के मुकाबले सस्ता को साबित हो सकता है। लेकिन, आप पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं हो सकते हैं।
क्या है उपाय?
यदि आप अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं और हर महीने हजारों रुपये की अतिरिक्त बचत सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो सोलर सिस्टम को अपनाना, आपके लिए निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। वहीं, वाहनों को चार्ज करने के लिए सोलर एनर्जी के इस्तेमाल से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर भी और अधिक लगाम लगाया जा सकता है।
यह कैसे होगा संभव?
यदि आप सोलर एनर्जी (Solar Energy) की ओर रुख करते हुए, खुद को बिजली के मामले में बिल्कुल आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो आप निश्चित रूप से किसी सोलर कंपनी से संपर्क करें। वे आपको सॉल्यूशन देने के लिए, आपके यहां अपना इंजीनियर भेजेंगे।
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इंजीनियर आपके यहां यह एनालिसिस करें कि आपको कितनी बिजली की जरूरत है। अधिकतम लोड की जरूरत, दिन में है या रात में। सोलर पैनल कहाँ और कैसे लगाना है, आदि। इन चीजों को गहराई से समझने के बाद, वे आपको एक सॉल्यूशन प्रोवाइड करेंगे, जिससे आपको आपकी सभी हिचकिचाहट दूर हो जाएगी। और, लूम सोलर आपकी मदद करने में पूरी तरह से समर्थ है।
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