पानी हरेक घर की एक अहम आवश्यक्ता एवम सुविधा है। तो स्वाभाविक है कि सोलर सिस्टम के साथ-साथ पानी की घरेलू व्यवस्था में सुधार लाने का विचार किसी भी ग्राहक को आयेगा।
आज हम देखेंगे कि घरेलू सोलर सिस्टम के साथ पानी का पम्प कैसे जोडा और चलाया जा सकता है। मिसाल के तौर पर दी हुई इस चित्र में दिखाई गई सोलर सिस्टम ग्रिड से जुडी हुई है। पर वह नेट मीटरिंग के बिना चल रही है।
पानी के घरेलू पम्प ज्यादातर ०.५ HP या १ HP के सिंगल फेस पम्प होते हैं। याने कि पम्प की बिजली की खपत लगभग ४०० वॉट या ८०० वॉट की होती है। पानी को कितने मीटर ऊपर चढ़ाना है, उसके पर पम्प की रेटिंग निर्धारित होती है।
जैसे हमने अगले एक ब्लॉग पोस्ट में समझाया था (यहाँ), ग्राहक के हित में है रोज़ दिन में १२:०० या १:०० बजे के आस-पास पम्प चलाना। ऐसा करने से पैनल से उत्पन्न सौर्य बिजली का ज्यादा उपयोग होगा। अगर इस समय घर में अक्सर कोई नहीं होता, तो टाइमर और सेन्सर की मदद से इस प्रक्रिया को स्वचालित भी किया जा सकता है। अगर जरूरी हो तो पानी की ऊपर जाती हुई पाईप में फ़िल्टर भी लगाया जा सकता है।
ऊपर की टंकी भरने में कितना समय लगेगा? यह निर्भर करता है घर में होते हुए पानी के दैनिक व्यय पर। सामान्यतः यह समय १५ मिनट से ले कर ४५ मिनट तक हो सकता है। स्पष्ट है कि बड़े परिवार में समय कुछ ज्यादा लगेगा। ऊपर की टंकी की कुल क्षमता के ऊपर यह समय निर्भर नहीं करता, क्योंकि वह टंकी रोज़ खाली नहीं हो रही है।
कपडे धोने की वॉशिंग मशीन में पानी का काफी व्यय होता है। मान लीजिए कि वॉशिंग मशीन घर में हर दूसरे दिन चलती है। तो जिस दिन वॉशिंग मशीन चलती है, पम्प कुछ १५ या २० मिनट ज्यादा चलेगा।
बिजली की ए॰सी॰ मोटर जब चालू की जाती है, तब वह अपनी रेटिंग से लगभग ६-गुना ज्यादा करंट कुछ क्षणों के लिए लेती है। यह बात पानी के घरेलू पम्प की मोटर को भी लागू होती है। अगर आपका इन्वर्टर १ किलोवॉट का है, तो वह पम्प को चालू करते समय ओवर-करंट से ट्रिप हो जाएगा। यह समस्या ना आए इसके लिए हम यह सुझाव देंगे:
१ किलोवॉट की सोलर पैनल के साथ इन्वर्टर २ या ३ किलोवॉट का रखिए। इससे आपकी लागत में कुछ बढ़ौती जरूर होगी, पर आप की सिस्टम ज्यादा अच्छी चलेगी। और सोलर सिस्टम के साथ आप बैकप बैटरी भी जरूर लगवाएँ। इससे आपका पम्प बेहतर चलेगा, और बाहर का पावर सप्लाय बंद होने पर भी घर में कोई असुविधा न होगी।
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आपकी सिस्टम के साथ किस प्रकार का इन्वर्टर लगेगा, यह निर्भर करता है आपके सोलर पैनल के ऊपर। अगर आप अध्यतन ए॰सी॰ मॉड्यूल लेते हैं (देखिये यहाँ), तो यह काम बहुत ही आसान हो जाता है। ऐ॰सी॰ मोड्यूल से युक्त सोलर सिस्टम के सही चयन की पूरी तकनीकी जानकारी के लिए जरूर हमारा संपर्क करें।
यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि सोलर पैनल कुछ २५ सालों तक सौर्य बिजली का उत्पादन देते हैं। हमारे खरीदे हुए कोई भी अन्य साधन – जैसे कि कार, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, इत्यादि – इतने साल नहीं चलते। तो हर दो-तीन साल में सोलर सिस्टम में बदलाव करवाना मुमकिन नहीं है। सोलर सिस्टम के चयन के समय लम्बी अवधि की सोच रखना ही हितावह है।
पम्प, पैनल, इन्वर्टर और बैटरी की क्षमता इन सभी मुद्दों को ध्यान में रख कर ही निर्धारित करना चाहिए। ऐसा करने से सालों तक सभी परिवारजन घर में ही पैदा हुई सौर्य बिजली की सुविधा का पूरा आनंद उठा सकेंगे।
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