अपने Office में सोलर पैनल लगाने के लिए अपने ये तरीके, होंगे कई फायदे!

यदि आप किसी बिजनेस को लेकर अपनी ऑफिस खोलने की योजना बना रहे हैं, तो बिजली की जरूरत सबसे पहले पड़ने वाली है। यहाँ हम वैसे ऑफिसों की बात कर रहे हैं, जो पूरी तरह से स्वतंत्र हो और वहाँ अपना कुर्सी, टेबल, कम्प्यूटर आदि लगे हों, न कि वह कोई को-वर्किंग स्पेस हो।

जब भी आप ऐसे जगह पर अपने ऑफिस की शुरुआत करते हैं, तो वहाँ पर आप बिजली के बिना कुछ भी कर नहीं सकते हैं। इसलिए यह आपकी सबसे पहली जरूरत होती है।लोग अपने ऑफिसों में निर्बाध बिजली के लिए इन्वर्टर बैटरी और यूपीएस जैसे कई संसाधनों को जुटाते हैं। लेकिन इससे उन्हें लम्बे समय के लिए राहत नहीं मिल सकती है।

पुराने उपाय के तौर पर अपनाते हैं जनरेटर

किसी भी ऑफिस में लाइट, पंखा, कम्प्यूटर, प्रिंटर, बायोमेट्रिक्स, वाई-फाई और सीसीटीवी कैमरा जैसी चीजों के लिए हमेशा बिजली की जरूरत पड़ती है।

वहीं, शहर कोई भी हो आज बिजली कटौती की समस्या आम हो गई है। लोग बिजली कटौती की समस्या से निपटने के लिए यूपीएस का सहारा लेते हैं। लेकिन इससे उन्हें 10-15 मिनट की राहत ही मिल सकती है।

दूसरी ओर, लोग लम्बे समय की बिजली कटौती की समस्या से निजात पाने के लिए जनरेटर को अपनाते हैं। बता दें कि जनरेटर दो तरह के आते हैं, जो निम्न हैं - 

  1. डीजल से चलने वाला
  2. गैस से चलने वाल

बता दें कि यदि किसी ऑफिस में तीन से चार एसी चल रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में लोगों को कम से कम 25 से 30 किलोवाट क्षमता के जनरेटर को लगाने की जरूरत पड़ती है। 

लेकिन यह लोगों के लिए काफी महंगे का सौदा साबित होता है और एक जनरेटर को चलाने में लोगों को हर महीने कम से कम 40 से 50 हजार का खर्च आता है और इसके रखरखाव के लिए हमेशा एक इलेक्ट्रिशियन को रखने की जरूरत पड़ती है, जिस पर भी हर महीने 15-20 हजार का खर्च आता है

इसके अलावा जनरेटर के इस्तेमाल से पर्यावरण को भी काफी क्षति होती है।

क्या है उपाय

यदि कोई शख्स पावर बैक सॉल्यूशन के तौर पर जनरेटर का इस्तेमाल कर रहा है, तो उनके लिए सोलर सिस्टम को अपनाना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

कितने वाट के सोलर सिस्टम की पड़ेगी जरूरत?

यदि किसी ऑफिस में 50 से 60 लोग काम करते हैं, तो उनके लिए 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम पर्याप्त होगा। लेकिन वे इस पर एसी नहीं चला सकते हैं।

यदि कोई इस पर एसी चलाना चाहता है, तो उन्हें कम से कम 10 किलोवाट के सोलर सिस्टम को खरीदने की जरूरत पड़ेगी।

लोगों के मन में उठते हैं कई सवाल

अब किराये का घर लेकर ऑफिस चला रहे लोगों के मन में सवाल उठता है कि जब अपना घर नहीं है, तो हम सोलर सिस्टम क्यों और कैसे लगाएं? तो इसका सवाल है कि यदि आप अपने ऑफिस में सोलर सिस्टम लगाते हैं, तो आपको हर महीने हजारों की बचत हो सकती है और इस बचे पैसे का इस्तेमाल आप अपने बिजनेस को बढ़ाने में कर सकते हैं।

वहीं, यदि आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि दूसरे के घर में अपना सोलर पैनल कैसे लगाएं, तो इसका जवाब है कि जब आपने सोलर सिस्टम लगाने का मन बना लिया है, तो आप सबसे पहले अपने मकान मालिक से इसके बारे में बात करें और उनकी अनुमति लें। 

एक बार अनुमति मिल जाने के बाद, छत पर सोलर सिस्टम को इस तरीके से लगवाएं कि यदि बाद में आप अपने ऑफिस को बदल रहे हैं, तो सोलर पैनल को भी आसानी से निकाला जा सके।

कौन सी लें बैटरी?

कुछ साल पहले, यदि आपको 5 किलोवाट बिजली की जरूरत है, तो उसके लिए कम से कम 10 किलोवाट के बैटरी की जरूरत पड़ती थी। इन्हीं चिन्ताओं को देखते हुए, लूम सोलर ने अत्याधुनिक तकनीकों से लैस एक ऐसी बैटरी को बनाया है जिसकी इफिशियंसी रेट 100 फीसदी है। यानी आपको जितनी बिजली की जरूरत है, आपको उतना बैटरी ही खरीदना होगा।

इस बैटरी का नाम CAML 100 है, जो एक लिथियम ऑयन बैटरी है। इस बैटरी को कोई रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती है और यह चार बैटरी के बराबर अकेले है। इसके साथ ही यह बैटरी आईओटी से लैस है, यानी आप इसे अपने मोबाइल या कम्प्यूटर से कहीं से भी कंट्रोल कर सकते हैं। 

कौन सा लें इन्वर्टर?

अपनी इन्वर्टर की जरूरतों को पूरा करने के लिए आप लूम सोलर के Fusion Inverter को खरीदें। बता दें कि आज यह देश का सबसे हाई इफिशियंसी इन्वर्टर है। आज देश में जितने भी इन्वर्टर मिल रहे हैं, सब पुरानी टेक्नोलॉजी वाले हैं और उनकी इफिशियंसी रेट अधिकतम 80 फीसदी है।

लेकिन इसकी इफिशियंसी रेट 100 फीसदी है और यह बैटरी को सिर्फ डेढ़ घंटे में ही चार्ज कर देता है। साथ ही यह MPPT टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जिसके जरिये आप इसमें प्रोफाइल सेट कर सकते हैं और यह सोलर पैनल, बैटरी और बिजली पर बिऑटोमेटिकली शिफ्ट हो जाएगा।

किस तरह का लें सोलर पैनल

यदि आप स्ट्रक्चर पर ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते हैं, तो आप लूम सोलर के Shark Solar Panel को खरीद सकते हैं और यदि आपको अत्याधुनिक तकनीकों से लैस सोलर पैनल चाहिए, तो आप Bi Facial सोलर पैनल की ओर रुख कर सकते हैं।

बता दें कि शार्क सोलर पैनल कम धूप में भी पूरी बिजली बनाने के लिए जाना जाता है, तो  Bi Facial सोलर पैनल में दोनों साइड से बिजली बनती है। इस वजह से इसे ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन, इसे काफी ऊँचाई पर लगाने की जरूरत पड़ती है।

कितना होगा खर्च

यदि आप 5 किलोवाट की सोलर सिस्टम लगाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको करीब 6 से 7 लाख का खर्च आएगा। वहीं, यदि आप 10 किलोवाट के सोलर सिस्टम को लगाना चाहते हैं, तो आपको 12 से 14 लाख का खर्च आएगा। 

लेकिन एक बार इतना निवेश कर देने के बाद, आप वर्षों तक मुफ्त और निर्बाध बिजली का आनंद उठा सकते हैं। वहीं, सोलर सिस्टम को खरीदने में आने वाले खर्च को आप ईएमआई के जरिए किस्तों में भी चुका सकते हैं।

निष्कर्ष

यदि आप सोलर सिस्टम में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको एक एक्सपर्ट गाइड की जरूरत पड़ेगी। यदि आप अपने साइट पर इंजीनियर विजिट चाहते हैं, तो हमसे संपर्क करें।

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