Micro Grid लगाकर सलाना कमाएं 36 लाख!

सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग (MSME’s In India) को भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी मजबूती मानी जाती है। आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, आज देश में करीब 6.3 करोड़ एमएसएमई हैं, जिसमें से करीब 92% MSMEs का वार्षिक टर्न ओवर 5 करोड़ रुपये से कम है।

MSME का भारतीय अर्थव्यवस्था में कितना योगदान है? (What is the contribution of MSME’s to the Indian economy?)

बता दें कि मौजूदा समय में एमएसएमई का भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में करीब 30 प्रतिशत का योगदान है और इससे करीब 11 करोड़ लोगों को आजीविका का साधन मिलता है। इस उद्योग के अंतर्गत देश में 6 हजार से अधिक प्रकार के उत्पाद बनाए जाते हैं, जिनकी माँग पूरी दुनिया में है।

क्या है एमएसएमई? (What is MSME’s)

बता दें कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें काम करने वाले लोगों की एक सीमित संख्या होती है और उनका वार्षिक उत्पादन भी सीमित दायरे में होता है।आज इसे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और सर्विस सेक्टर, जैसे दो भागों में बाँटा गया है और 5 करोड़ से कम टर्न ओवर हासिल करने वाले उद्योग सूक्ष्म उद्योग में आते हैं, जबकि 5 करोड़ से 75 करोड़ के बीच टर्न ओवर हासिल करने वाले लघु और 75 करोड़ से 250 करोड़ रुपये का टर्न ओवर हासिल करने वाले मध्यम उद्योग में।

लॉकडाउन के बाद दिया गया और अधिक बढ़ावा

कोरोना महामारी के कारण आज पूरी दुनिया भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रही है। इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए, सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान MSME’s को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के प्रयास किये गए, ताकि अर्थव्यस्था को नियंत्रित किया जा सके और अधिक से अधिक लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिल सके। 

हालांकि, आज भी सरकार द्वारा इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए क्या उपाय किये जा रहे हैं, यह ज्यादा लोगों को पता नहीं है। बता दें कि इस दिशा में सरकार द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), कार्यनिष्पादन और क्रेडिट रेटिंग स्कीम, सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड (सीजीटीएसएमई), ब्याज सब्सिडी पात्रता प्रमाणपत्र (आईएसईसी), बाजार संवर्धन एवं विकास स्कीम (एमपीडीए), जैसे कई योजनाओं को शुरू किया गया है।

क्या है सबसे बड़ी समस्या?

आज इन उद्योगों को अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए 25% से 40% तक खर्च आसानी से आता है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग की कीमत शामिल नहीं है। इससे साफ है कि यदि कोई उद्यमी इस खर्च को नियंत्रित कर ले, तो उसे अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने में काफी आसानी होगी और यदि कोई बिजली पर आने वाले इस खर्च को कम करना चाहता है, तो उन्हें अपने यहाँ सोलर सिस्टम (Solar System For Businesses) को लगाना होगा।

सोलर न अपनाने की क्या होती है वजह

आज बाजार में सोलर सिस्टम को लेकर कई मिथक हैं, जिन्हें दूर करना काफी जरूरी है - हर बिजनेसमैन के मन में सोलर सिस्टम को लेकर यह सवाल रहता है, कि यदि हमने इसे इंस्टाल करने में इतना खर्च कर दिया और किसी वजह से हमारा बिजनेस बंद हो गया, तो हम इसका क्या करेंगे?

चूंकि, यदि हम गाड़ी या अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कोई दूसरा प्रोडक्ट खरीदते हैं, तो उसका एक Resale Value होता है। इसका क्या होगा? इसी वजह से लोग एमएसएमई में सोलर सिस्टम (Solar System) को अपनाने से हिचकते हैं।

वहीं, इसकी एक दूसरी वजह यह भी है कि आज बिजनेस करने वाले अधिकांश लोग अपने ऑफिस, लैपटॉप, आदि को रेंट पर लेते हैं, इस वजह से वे अपने यहाँ सोलर सिस्टम लगाने से डरते हैं, कि यदि आगे उनका ऑफिस बदलता है, तो सोलर सिस्टम को दूसरे जगह पर लगाने में काफी परेशानी होगी।

क्या है उपाय?

पहला - आपको बता दें कि यदि आप अपने घर में कुर्सी, टेबल, टीवी, फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं और आपको अपने घर को बदलने की नौबत आती है, तो ऐसा तो नहीं है कि आप अपने सामानों को वहीं छोड़ देते हैं।सोलर सिस्टम के साथ भी ऐसा ही है। बता दें कि यदि आपको पास 5 या 10 किलोवाट का कोई भी सोलर सिस्टम है, तो इसे Disassemble करने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है और आपने जितना खर्च इसे पहली बार लगाने में किया था, उतने ही खर्च में इसे दूसरे जगह पर लगाया जा सकता है।

दूसरा - यदि आपका बिजनेस किसी वजह से बंद हो जाता है, तो सवाल उठता है कि ऐसे में आप अपने सोलर सिस्टम का क्या करेंगे? तो बता दें कि दें कि आज बिजनेस के लिए On Grid Solar System का इस्तेमाल होता है और देश में लॉकडाउन के दौरान जितने भी लोगों ने अपने बिजनेस को चलाने के लिए सोलर सिस्टम लगाया, खूब फायदे में रहे।

क्योंकि इस दौरान देश के अधिकांश Commercial Space बंद पड़े हुए थे और Residential Sector में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा था। वहीं, हवा साफ सुथरी होने के कारण सोलर सिस्टम से बिजली का उत्पादन भी भरपूर हो रहा था। इस वजह से लोगों ने खूब बिजली बेचा और जब कन्ज्यूम किया, तो उन्हें महीनों के लिए कोई बिजली बिल न देना पड़ा। क्योंकि उन्हें इसे पहले ही एक्सपोर्ट कर दिया था। इससे साफ है कि सोलर सिस्टम अन्य मशीन जैसा नहीं है कि यह बाजार में कभी आउटडेटेड हो जाएगा। आप हों या न हों, यह अपना काम करता रहेगा। 

क्या हैं अन्य फायदे?

1. बिजली बिल की बजत - यदि आप अपने बिजनेस में बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोलर सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं, तो आपका बिजली बिल जीरो हो जाएगा।

2. टैक्स में फायदा (Tax Benefits on Solar System) - यदि आप अपना कोई बिजनेस चला रहे हैं, तो अपने टैक्स को बचाने के लिए आप सोलर सिस्टम में निवेश (Investment in Solar System) कर सकते हैं।बता दें कि आज एमएसएमई के लिए 15 से 25 प्रतिशत का टैक्स निर्धारित है और यदि आप सोलर में निवेश करते हैं, तो आपको 40 प्रतिशत तक का टैक्स आसानी से बच सकता है और इस बचे टैक्स का इस्तेमाल आप अपने कर्मचारियों की सैलरी और अन्य संसाधनों को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं और जितना खर्च अपने Assets पर करेंगे, आपको उससे भी टैक्स बचेगा।

3. Term Loan में भी होगा फायदा - यदि आपने अपने बिजनेस के लिए कोई लोन लिया है, तो आप हर महीने जितना ईएमआई भरेंगे, आपको उसमें भी 5 लाख रुपये तक 5 प्रतिशत का फायदा हो सकता है।

इस तरह, यदि किसी एमएसएमई को सोलर सिस्टम के इतने फायदों के बारे में पता चल जाएगा, तो उनका सभी डर खत्म हो जाएगा, जो उनके बिजनेस के लिए काफी फायदेमंद भी है।

For Haryana State Only: 4.13 State Renewable Energy Scheme: State will provide interest subsidy on term loan to the tune of 5% (maximum up to INR 5 lakhs per year) for three years for adoption of renewable energy technologies like rooftop solar. Download full document here.

माइक्रो ग्रिड (Micro Grid) से बनेगी बात

micro grid

बता दें कि किसी भी बिजनेस में सबसे पहली जरूरत होती है - बिजली की। उसके बाद, बारी आती है जेनरेटर और कम्प्यूटर, आदि की।बता दें कि यहाँ बिजली से पूरा प्लांट चलता है। जबकि जनरेटर को भारी मशीनों के लिए रखा जाता है और इन्वर्टर बैटरी बैकअप को कम्प्यूटर, लाइट, पंखा, आदि जैसी छोटी छोटी जरूरतों के लिए रखा जाता है।

ऐसे में, यदि कुछ मिनट के लिए भी बिजली जाती है, तो उन्हें अपने बिजनेस में काफी नुकसान उठाना पड़ता है और जनरेटर का इस्तेमाल उनके लिए काफी महंगा साबित होता है। क्योंकि, आप एक मशीन चलाएं या सभी मशीनें, आपको इसे चलाने में खर्च उतना ही आएगा। ऐसे में, देश की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आज हमारे यहाँ Micro Grid की जरूरतें तेजी से बढ़ने वाली है।

आपके पास जितने किलोवाट का जनरेटर है, आपको उससे 25 से 50% ज्यादा Micro Grid लगाने की जरूरत पड़ेगी। जैसे कि यदि आपके पास 50 किलोवाट का जनरेटर (50kVA Generator) है, तो आपको 75 किलोवाट का इन्वर्टर बैटरी (75kWh Micro Grid) होना चाहिए। लेकिन यहाँ इन्वर्टर बैटरी के बजाय Micro Grid काम करेगा, जो 15 लिथीयम बैटरी के साथ होगा।

क्या है भविष्य के संदेश?

जैसा कि यदि आपको पूरा जनरेटर बदलने की जरूरत है, तो आपको Micro Grid लगाना होगा और आज पूरे देश में जनरेटर के इस्तेमाल पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, जिससे साफ है कि आने वाले 2-3 वर्षों में इस क्षेत्र में हमें बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

Micro Grid के अन्य फायदे

बता दें कि माइक्रो ग्रिड (Micro Grid) बिल्कुल यूपीएस जैसा काम करता है। यानी कि सरकारी बिजली जाने पर भी आपके यहाँ एक नैनो सेकेंड के लिए भी बिजली नहीं जाएगा और आपका काम निर्बाध चलता रहेगा।

कितने किलोवाट के सोलर सिस्टम की होगी जरूरत?

यदि आपका बिजनेस अभी छोटे पैमाने पर है, तो आप 10 किलोवाट के सोलर सिस्टम को ले सकते हैं। वहीं, यदि आपकी जरूरत ज्यादा है, तो आपको एक इंजीनियर विजिट के लिए इन्क्वायरी करना होगा।वे आपके साइट पर जाएंगे और आपके लोड को एनालाइज करते हुए, सिस्टम डिजाइन को फाइनल करेंगे और इसमें आने वाले खर्च के बारे में आपको जानकारी देंगे।

निष्कर्ष

हमें यकीन है कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। यदि आप अपने घर में या बिजनेस के लिए सोलर सिस्टम अपनाना चाहते हैं और खुद को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो अभी हमसे संपर्क करें। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद के लिए हमेशा ही तैयार रहते हैं।

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Roshani Rahangdale

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