आज के समय में बाजार में इंवर्टर (Inverter) की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है। इसकी वजह यह है कि आज इसकी जरूरत वैसे लगभग हर घर में होती है, जहाँ लोग पावर बैकअप के लिए बैटरी का इस्तेमाल करते हैं। यदि आप भी अपने घर के लिए इंवर्टर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जिसके बारे में विस्तृत जानकारी हम आपको इस लेख में देंगे।
खरीदने से पहले क्या ध्यान रखें?
खरीदने से पहले हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आपको कितने किलोवाट के इंवर्टर (Inverter) की जरूरत है। क्योंकि, आज के समय में ग्राहकों के बीच इसे लेकर एक कंफ्यूजन है। बता दें कि इंवर्टर एक ऐसा प्रोडक्ट है, जो AC को DC करंट में बदलने का काम करता है। यह रूफटॉप सोलर सिस्टम (Rooftop Solar System) में भी एक सेंट्रल प्रोडक्ट है, जैसे कि कंप्यूटर में CPU. इस लिए इसे सोलर सिस्टम का ब्रेन भी कहा जाता है।
इंवर्टर कितने प्रकार के होते हैं?
इंवर्टर दो प्रकार के होते हैं।
- नॉर्मल इंवर्टर (Normal Inverter)
- सोलर इंवर्टर (Solar Inverter)
नॉर्मल इंवर्टर (Normal Inverter) - यह एक ऐसा इंवर्टर होता है, जिसमें चार्ज कंट्रोलर नहीं रहता है। यह सिर्फ बैटरी को चार्ज करता है और बैटरी से एसी करंट बनाने का काम करता है। इसमें आज के समय में जो 12 वोल्ट, 24 वोल्ट और 48 वोल्ट के इंवर्टर आते हैं, वो सामान्य रूप से Lead Acid Battery के साथ लगते हैं।
सोलर इंवर्टर (Solar Inverter) - सोलर इंवर्टर तीन प्रकार के होते हैं - On Grid Inverter, Off Grid Inverter और Hybrid Inverter. On Grid Inverter एक ऐसा इंवर्टर होता है, जिसे ग्रिड कनेक्टेड सोलर सिस्टम (Grid Connected Solar System) में इस्तेमाल किया जाता है। यह इंवर्टर 3 किलोवाट से लेकर 100, 250 किलोवाट तक के कैपेसिटी में काफी आराम से इस्तेमाल होता है।
दूसरा इंवर्टर है Off Grid Inverter या Hybrid Inverter. आज बाजार में Off Grid Inverter 700 WA से मिलना शुरू हो जाता है और 1, 2, 3, 5, या 10 किलोवाट से लेकर उससे अधिक कैपेसिटी तक में भी मिलता है।
कैसे पता करें कि आपके यहाँ कौन सा इंवर्टर लगेगा?
आज के समय में इस मामले में देश में सबसे बड़ी समस्या यह है कि अधिकांश लोगों को यह नहीं पता है कि आखिर उनके घर में बिजली का लोड कितना चलता है? तो इस केस में क्या हो रहा है कि जब कोई इंवर्टर लगाता है, तो उनके यहाँ जब Solar और Grid, दोनों से बिजली मिल रही होती है, तो इंवर्टर दोनों पर चलते रहता है। और, जब बिजली चली जाती है और सोलर से भी बिजली बनना बंद हो जाता है, तो उनके इंवर्टर पर Over Loading की समस्या बढ़ने लगती है, जैसे कि शाम के 6 बजे के दौरान। इसकी वजह से इंवर्टर ज्यादा जलता है।
तो, इसके लिए क्या जिम्मेदार है?
- मार्केट में Trained Electrician की कमी है, जो इस बात को समझे कि यह बीच में एक प्रोडक्ट है और स्टेबलाइजर की तरह इस पर ओवरलोड नहीं दिया जा सकता है।
निष्कर्ष
आपका लोड जितने किलोवाट का है, उस पर High Power Loss और Low Power Loss का ध्यान जरूर रखें। 16 AMP में कनेक्टेड लोड High Power Consumption और 3, 6 AMP में Low Power Consumption होता है, तो ऐसे में Power Consumption के प्रति हमें बहुत ज्यादा जागरूकता की आवश्यकता है। इस लिए पहले अपने घर में लोड को डिवाइड कर दें। जैसे कि आपको कहाँ 500 वाट से अधिक बिजली की जरूरत होती है, जैसे कि AC, Induction, Heater, Washing Machine, आदि। यहाँ हम Low Power Consumption में टीवी, फ्रीज, फैन, मोबाइल चार्जिंग, लाइट जैसी उपकरणों को गिन सकते हैं।
यहाँ यदि हमें 100% Energy Independence बनना है, तो टोटल लोड का करीब 50 प्रतिशत अधिक इंवर्टर कैपसिटी होना जरूरी है। जैसे कि यदि आपके यहाँ 4 किलोवाट बिजली की खपत है, तो ऐसे में आप 6 किलोवाट के इंवर्टर को खरीदें।
इस प्रकार इंवर्टर का सेलेक्शन करने के बाद, एक और बात ध्यान में रखें कि यदि आप इंवर्टर खरीद रहे हैं, तो आपको यह भी पता होना चाहिए कि आपको Single Phase Inverter लेना है या 3 Phase. बता दें कि यह कंफ्यूजन आपको 10 किलोवाट या इससे ज्यादा के सिस्टम को लगाने के दौरान आ सकता है। यदि आप High Capacity वाले हैं, तो चेक कर लें कि Single Phase है या 3 Phase. 5 किलोवाट वाले ग्राहक आम तौर पर सिंगल फेज वाले इंवर्टर को लगाते हैं।
2 comments
Dayashankar Gupta
10 led bulb 4 siling fan 2 TB lcd 1 water motor kaun sa enwetar lena chahiye
Ramniwas
1 kw 2kw