बदलते मौसम के अनुसार हम अपने घरों में बिजली के अलग-अलग उपकरण चलाते हैं। और हम समझते हैं कि बिजली के बिना आज का घरेलू या व्यावसायिक जीवन संभव ही नहीं है। पर यह कोशिश भी हमारी हमेशा रहती है, कि बिजली के मासिक या द्विमासिक बिल के ऊपर हम कुछ काबू रखें, याने कि उसे लगभग हमारे बजट की सीमा में रखें।
आज के तकनीकी युग में रोज़ नए-नए उपकरण बाज़ार में आते रहते हैं, और अब तो सौर्य ऊर्जा के साधन भी आसानी से घरों में लगाए जा रहे हैं। तो इस नए तकनीकी माहोल में कुछ सादे से सुझाव हम आप को देना चाहेंगे, जिनकी मदद से आप न सिर्फ अपना बिजली का बिल कम कर सकते हैं, बल्कि शायद सौर्य ऊर्जा के माध्यम से कुछ राशि कमा भी सकते हैं।
हो सकता है कि आप के लिए बिजली का खर्च एक बहुत छोटी बात है, और उसके बढ़ जाने से आपको कोई भी दिक्कत नहीं होती। पर फिर भी हम यह तो जरूर कहेंगे कि हम किसी भी चीज़ का अनावश्यक उपयोग या बिगाड़ क्यों करें? फिर चाहे वह बिजली हो, या पानी हो, या खाने पीने की कोई चीज़ हो। अनावश्यक उपयोग या बिगाड़ का तो जीवन में कोई अर्थ नहीं होता।
हो सकता है के कोई कहिलाते हुशियार लोग आपको कोई जुगाड़ बताएं, जिससे आपका बिजली का मीटर कुछ आपके पक्ष में मीटर की रीडिंग कम करता रहे। पर यह तो सिर्फ चोरी ही हुई, और हम ऐसी बात आप से कभी नहीं कहेंगे।
हम आप को सिर्फ तकनीकी सुझाव देंगे, जिसमें हमारे अनुभव और तकनीकी जानकारी का निचोड आप को मिलेगा।
अब देखें कि सौर्य बिजली के आधुनिक साधनों से कैसे बिजली का खर्च कम हो सकता है।
घर में सौर्य ऊर्जा से बिजली पाने का अद्यतन साधन है ए॰सी॰ मॉड्यूल। इसमें हर सोलर पैनल के साथ ही उसका अपना एक माइक्रो-इन्वर्टर लगा होता है, जिसके माध्यम से बिजली का ए॰सी॰ पावर ही सीधा ग्राहक को मिलता है। आई॰ओ॰टी॰ के साथ भी हरेक ए॰सी॰ मॉड्यूल जुड़ा होता है, जिससे हरेक मॉड्यूल की निगरानी व नियंत्रण आसानी से हो सकते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए देखिये हमारे ब्लॉग की यह पिछली किश्त: ए॰सी॰ मॉड्यूल - सोलर पैनल की नई टेक्नोलोजी।
अद्यतन ए॰सी॰ मॉड्यूल (AC Module) से बनी सोलर सिस्टम की मदद से बिजली का खर्च बचाने के दो विकल्प हैं।
दोपहर के आसपास के कुछ ५-६ घंटों में – याने कि सुबह लगभग १०-१०:३० से लेकर – सौर्य बिजली का उत्पादन अधिकतम होता है। अगर उस समय घर में बिजली का उपयोग उत्पादन से कम हो रहा है, तो उस अतिरिक्त बिजली का क्या होगा?
विकल्प १: कई राज्यों में सरकार ने नियम बनाए हैं कि घरों में पैदा हुई अतिरिक्त बिजली नेट मीटरिंग के माध्यम से बिजली की पावर सप्लाय में वापस भेजी जाय। और उस वापस भेजी हुई बिजली का आर्थिक लाभ बिजली के ग्राहक को मिले।
मान लीजिए कि घर में दोपहर के आसपास ५ यूनिट सौर्य बिजली पैदा हुई, पर उन घंटों में सिर्फ १ यूनिट बिजली का घरेलू उपयोग हुआ। तो बाकी के ४ यूनिट बिजली सप्लाय में वापस जाएगी, और वह ग्राहक के जमा-खाते में रहेगी। सूर्यास्त के बाद, और दूसरी सुबह, अगर ४ यूनिट बिजली का उपयोग हुआ, तो वह उसी जमा-खाते में से निकलेगा। याने कि कुल 5 यूनिट बिजली का व्यय जो हुआ, उनसे बिजली के बिल में कुछ नहीं चढ़ेगा, क्योंकि इतनी सौर्य बिजली घर में पैदा हुई थी।
अगर बिजली का व्यय कुल ७ यूनिट होता, तो उनमें से सिर्फ २ यूनिट ग्राहक के बिल में चढ़ते, क्योंकि ५ यूनिट सौर्य बिजली तो घर में ही पैदा हुई थी। वैसे ही, उस दिन अगर बिजली का व्यय मात्र ३ यूनिट होता, तो बाकी के ५ – ३ = २ यूनिट पावर कंपनी में ग्राहक के जमा-खाते में रहते। ऐसे जमा हुए यूनिटों की कीमत बीजली के रेट के अनुसार लगाई जाती है।
तो अगर आपके घर की सोलर सिस्टम इस प्रकार से दोपहर के घंटों में पावर सप्लाय को बिजली वापिस दे सकती है, तो आप के बिजली के मासिक या द्विमासिक बिल में काफी कटौती आएगी। आप जरूर सोलर सिस्टम के सप्लायर से यह जान लें कि यह नेट मीटरिंग की व्यवस्था आपके शहर में उपलब्ध है या नहीं।
विकल्प २: अगर नेट मीटरिंग की व्यवस्था आपके शहर में उपलब्ध नहीं है, तो आपके हित में रहेगा कि घर के ज्यादा पावर वाले उपकरणों का उपयोग जहां तक हो सके दोपहर के आसपास के घंटों में ही करें। वॉशिंग मशीन, पानी का पंप, इत्यादि उपकरण इन घंटों में चलाये जा सकते हैं।
इस परिस्थिति में – पावर सप्लाय कंपनी के नियमानुसार – एन्वोय (Envoy) जैसा निगरानी का एक खास उपकरण भी आपको सोलर सिस्टम के साथ लगाना होगा, जिसकी माहिती यहाँ पर दी गई है।
एक और विकल्प: एक बैटरी-युक्त होम इन्वर्टर भी अगर आप लगाएँ, तो वह घर में ही पैदा हुई बिजली का संग्रह करेगा और पावर सप्लाय ना होने के समय आप की सुविधा में वृद्धि करेगा। और क्योंकि सौर्य बिजली के होते आप पावर सप्लाय से बिजली कम लेंगे, तो आपके बिजली के बिल में बचत होगी।
इस उपयोगी और रसप्रद विषय के बारे में ज्यादा तकनीकी या लागत की माहिती के लिए आप जरूर हमारा संपर्क करें।