कोयले की कमी के चलते जहां एक तरफ देश बिजली संकट से जूझ रहा है। वहीं दूसरी तरफ बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियां को इससे फायदा होते हुए दिख रहा है। बिजली कंपनियां पावर एक्सचेंज के जरिए बिजली बेचती हैं, जहां कीमतें करीब तीन गुनी हो गई हैं।
पावर सेक्रेटरी आलोक कुमार ने इस संबंध में राज्यों को चेतावनी दी है और उनसे कहा कि अगर आयातित कोयला आधारित पावर प्लांट किसी वजह से अपनी क्षमता मुताबिक उत्पादन या आपूर्ति से इनकार करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई करें।
ट्रांसमिशन कंपनियां इस समय 16-18 रुपये प्रति यूनिट के दर पर बिजली बेच रही हैं, जो आमतौर पर 4-6 रुपये प्रति यूनिट रहती है। हिंदुस्तान पावर लिमिटेड, अडानी पावर स्टेज-II और तीस्ता स्टेज-III, सबसे अधिक 18 रुपये प्रति यूनिट चार्ज कर रही हैं।
टाटा पावर, अडानी पावर, एस्सार एनर्जी आदि के पास आयातित कोल आधारित प्लांट हैं। हाल ही में इन कंपनियों के साथ गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और पंजाब के अधिकारियों ने बैठक की थी, जिनका प्लांट के साथ बिजली को लेकर समझौता है। इस बैठक के दौरान पावर सेक्रेटरी आलोक कुमार भी थे और उन्होंने कई अहम टिप्पणियां कीं।
उन्होंने कहा कि उत्पाद के बाद उपलब्ध बिजली को किसी भी बहाने से देने से इनकार करना "अक्षम्य" है। उन्होंने बिजली उत्पादन कंपनियों की ओर से मार्केट में खेले जा किसी भी तरह के खेल को लेकर भी राज्यों को आगाह किया। उन्होंने कहा, "अगर विक्रेता के तरफ से किसी तरह के खेल का पता चलता है, जैसे कि वह समझौते के तहत बिजली सप्लाई न करके उसे मार्केट में बेच रहा है, तो ऐसे मामले को बिना किसी देरी के रेगुलेटर के ध्यान में लाया जाना चाहिए।"