पंखा, बल्ब और टीवी चलाने के लिए कितने वाट का पैनल और कितने का खर्च आएगा?

गर्मी शुरू होते के साथ ही बिजली की जरुरत बढ़ जाती है चाहे वो शहर हो या ग्रामीण इलाका. सभी लोग अपने जरुरत के अनुसार इन्वर्टर बैटरी और सोलर पैनल की जानकरी लेना शुरू कर देते है. कई इलाको का बिजली बिल देखने से पता चला है कि गर्मी में समय में बिजली की जरुरत लगभग दुगनी हो जाती है और कुछ इलाको में लो वोल्टेज (Low Voltage) या फिर लम्बे पॉवर (Maximum Power Cut) कट रहता है. तो आज के समय में आप अपने घर में बिजली बना सकते है. घर में सोलर सिस्टम लगाकर अपनी बिजली खुद बना सकते है और सरकार की बिजली से निर्भरता कम कर सकते है.

क्या आप जानना चाहते है कि पंखा, बल्ब और टीवी चलाने के लिए कितने वाट का पैनल और कितने का खर्च आएगा? ये आपके लिए जरुरी है और इसे आगे पढ़े…

Step 1: Purpose of Installation [जरुरत क्या है]

सोलर सिस्टम लगाने का कई जरूरत होती है पर घर की बात करें तो यहाँ दो जरुरत ज्यादा देखने को मिलेगा. बिजली बिल की बचत. हर आदमी ये सोच कर अपना सोलर सिस्टम लगाबते है कि उनको सरकरी बिजली की जरुरत ना के बराबर पढ़े.

यदि मेरे घर का बिजली बिल 2000 महीने का देता हु तो मेरा पहला कोशिश रहेगा कि कैसे 2000 बिजली बिल को कम करें.

और दूसरा वैसे एरिया जहाँ आज भी बिजली 4 घंटे से ज्यादा है जिसके कारण वहां बैटरी चार्ज नहीं हो पाती है. ये दो मुख्य कारण है सोलर पैनल लगाने का.

सोलर पैनल लगाते समय फ्यूचर के बढ़ने वाले उपकरण को भी सोचकर सोलर पैनल का चयन करते है ताकि उनको अलग से कोई खर्च ना करना परे.

Step 2: Types of Solar System [कौन–सा सोलर सिस्टम लगाये?]

इंडिया में सोलर सिस्टम तीन प्रकार के उपलब्ध है –

1. ऑफ़ ग्रिड सोलर सिस्टम – यह सोलर सिस्टम बिना ग्रिड पॉवर के चलता है, जिसके कारण यह किसी भी एरिया के लिए उपयुक्त है.

2. ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम – यह सोलर सिस्टम ग्रिड पॉवर के साथ चलता है, जिसके कारण यह वैसे एरिया के उपयुक्त है जहाँ बिजली लगभग 23 घंटे आता हो. जैसे कि मेट्रो सिटी, पोपुलर सिटी, इत्यादि.  

3. हाइब्रिड सोलर सिस्टम – यह ऑन ग्रिड और ऑफ ग्रिड इन्वर्टर का मिलाकर हाइब्रिड सोलर सिस्टम बनाया गया है. ये बैटरी के साथ प्रयोग कर सकते है और जब आप नेट मीटर लगा कर बचे हुए बिजली को ग्रिड में बचा सकते है.

मान लीजिये, आप अपने घर में 3 किलोवाट सोलर सिस्टम लगाये जो प्रति दिन 15 यूनिट बनता है लेकिन आपके घर के एक दिन का खपत 8 यूनिट है तो इस प्रस्थिति में आपका बचा हुए 7 यूनिट बिजली विभाग को चला गया. इसी तरह आप महीने का पूरा सोलर सिस्टम का जनरेशन और बिजली का खपत घटा कर आपका बिजली बिल आयेगा.

Step 3: How to Plan Solar System [सोलर सिस्टम का प्लान कैसे करें]

सोलर सिस्टम खरीदने से पहले 3 उपकरण का सिलेक्शन बहुत ही जरुरी है –

इन्वर्टर, बैटरी और सोलर पैनल. सबसे पहले जानते है कि इन्वर्टर कैसे चयन करते है? इसके लिए हमने अपने घर का पूरी उकरण का लिस्ट उसके consumption power के साथ बनाये है.

अब हम ये निर्णय करेगे कि एक समय में क्या क्या चलायेगे, जैसा कि नीचे टेबल में बताया गया है.

यहाँ मेरे घर में एक साथ 1200 वाट से 2000 वाट तक का लोड चलेगा और सभी उकरण एक साथ नहीं चलेगे. नीचे दिए गए फार्मूला अपना कर इन्वर्टर का चयन करते है.  

1. Inverter Selection Golden Rule:

इन्वर्टर = बिजली जाने के रेगुलर लोड क्षमता * 2

          = 2000W * 2

          = 4000W (4KW)   

Inverter Capacity: Double Capacity of Regular Loads, i.e. 2 * 2000W = 4000W (4KW)

Two Advantages:

  1. We can run heavy consumption, such as 1.5 Ton Inverter AC
  2. Increase Inverter Life, we generally run 50% loads on inverter capacity.

2. Battery Selection Golden Rule:

जब बैटरी की चयन करते है तो सबसे पहले ये जानते है कि नाईट के समय में कितना यूनिट पॉवर की जरूरत है. मेरे घर में रात के समय में लगभग 4 से 5 यूनिट की जरुरत है और ये जानगे कि इन्वर्टर कितने वोल्टेज सपोर्ट करेगा. यहाँ  हमने 150A के चार बैटरी C10 टेक्नोलॉजी का चयन किये है. 

3. Solar Panel Selection Golden Rule:

इन्वर्टर और बैटरी सिलेक्शन के बाद अब सोलर पैनल का सिलेक्शन करेगे. यहाँ पर सोलर पैनल की मदद से घर के पूरी लोड चलाना है तो इसके लिए बैटरी के क्षमता से चार गुना सोलर पैनल का चयन किये है.

बैटरी क्षमता = 150 * 4 = 600Ah 

सोलर पैनल क्षमता = 375 * 8 =  3000Watt 

4. Solar Charge Controller Selection Golden Rule:

मार्केट में 4 किलोवाट का सोलर इन्वर्टर नहीं आता है. सोलर इन्वर्टर का रेंज हमेशा 1KW, 2KW, 3KW, 5KW, 7.5KW और 10KW में आता है. इन्वर्टर के रेंज के हिशाब से इसके साथ बैटरी की क्षमता बढ़ता है. इसलिए यहाँ पर 4 किलोवाट का नार्मल इन्वर्टर और उसके साथ अलग से MPPT Solar Charge Controller लगाया गया है. 

MPPT Solar Charge Controller का सबसे बढ़ा फायदा यह है कि सबसे पहले बैटरी को चार्ज करता है और जो बिजली ज्यादा रहता है उसको घर के लोड चलाता है. जिससे बिजली बिल पर सीधा फायदा दिखता है. 

यदि बैटरी फूल चार्ज हो और दिन के समय घर के कोई भी लोड नहीं चल रहा हो तो इस केस में सोलर पैनल से बिजली नहीं बनायेगा.

5. Panel Stand Selection Golden Rule:

सोलर सिस्टम का मुख्य उपकरण है सोलर पैनल स्टैंड. यह सोलर पैनल की मजबूती देता है. सोलर पैनल ज्यादा से ज्यादा बिजली बनाये इसके लिए जरुरी है घर के अनुसार सोलर पैनल स्टैंड का चयन करना. यहाँ पर हमने RCC Customized Panel Stand का चयन किये है.

कितना होगा खर्च?

सोलर पैनल लगवाने का खर्च अलग - अलग होता है लेकिन घर के हिसाब से 40-50 हजार से शुरू होकर लगभग 5,00,000 रुपये तक जाता है। इस कीमत को कम करने के लिए EMI और लोन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

निष्कर्ष

सोलर पैनल लगाने के पहले आपको ऊपर दिए हुए जानकारी जानना बहुत ही जरुरी है. यदि आप अपने घर, हॉस्पिटल, स्कूल, ऑफिस, पेट्रोल पंप, फैक्ट्री पर सोलर सिस्टम लगाने का प्लान कर रहें है तो आप बेसिक होम वर्क कर सकते है. यदि आप चाहते है कि आपके पास कोई सोलर इंजिनियर आकर आपको इसकी पूरी जानकारी दे तो लूम सोलर से आप प्रोफेशनल सोलर इंजिनियर विजिट करबा सकते है. 

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