बीते सालों में भारत भर में सोलर सिस्टम लगवाने लोगों की संख्या काफी बढ़ी है लेकिन अभी भी यह उस स्तर पर नहीं पहुंची है, जिस पर इसे होना चाहिए। भारत में अभी भी वे लोग ही सोलर सिस्टम लगवाते हैं, जिनको इसकी बहुत सख्त जरूरत होती है या फिर जिनके लिए कानूनी तौर पर इसे लगवाना जरूरी होता है। बाकी लोग अभी भी उस इंतजार में है जब बोर्ड कॉर्पोरेशन से आनी वाली बिजली इतनी अधिक महंगी हो जाए कि उनको हर हाल में सोलर सिस्टम लगवाना ही पड़ेगा।
क्या कारण है सोलर न लगवाने का?
देश में लोग अभी भी सोलर सिस्टम में पैसा लगाने की बजाए बैंक में रखना पसंद करते हैं। वे प्रॉपर्टी या प्लाट आदि खरीद लेंगे या कहीं और निवेश कर देंगे, लेकिन सोलर सिस्टम में निवेश नहीं करेंगे। जबकि इससे वे अपनी बचत करने के साथ ही देश की मदद और पर्यावरण की सुरक्षा में भी अहम योगदान दे सकते हैं। इसके बावजूद वो लोग ही सोलर सिस्टम लगवाना पसंद करते हैं जो कि बिजली की कमी या बिजली के कट्स से अधिक परेशान होते हैं। ऐसे लोगों का एक और बहाना होता है कि
उनके घर पर सोलर लगाने की जगह ही नहीं है। वे अपने घर पर पैनल लगवाने के लिए जगह नहीं तलाश पा रहे हैं।
या, वे तो किराए के घर में रहते हैं, इसलिए वे इस तरह का कोई भी सिस्टम इंस्टाल ही नहीं करवा सकते हैं।
काफी कारोबारी भी जगह ना होने का हवाला देकर सोलर सिस्टम से दूरी बनाए हुए हैं, जबकि इन सब समस्याओं के ढेरों समाधान और विकल्प मौजूद हैं।
वहीं काफी लोगों का ये भी कहना होता है कि उनके यहां तो बिजली का रेट ही काफी कम है। हिमाचल जैसे राज्यों में बिजली की दरें काफी कम है और ऐसे में लोगों का कहना होता कि जब कुछ सौ रुपए मासिक में उनका बिजली का खर्च चल रहा है तो वे हजारों-लाखों रुपए लगाकर सोलर सिस्टम लगवाने की तरफ क्यों जाएं?
इस तरह से उनके सोलर सिस्टम पर किए गए निवेश पर रिटर्न आने में काफी साल लग जाएंगे और वे इस तरह का विकल्प क्यों चुनें?
इन सब के अलावा, लोगों की एक और मांग होती है कि उनको ऐसा सोलर सिस्टम चाहिए जो कि उनकी बिजली का बिल कम करें और बिजली जाने के बाद उनकी बैटरी को भी चार्ज करें। ऐसे डबल फायदे वाले सोलर सिस्टम उनको काफी कम कीमत पर भी चाहिए।
प्रमुख सोलर इंडस्ट्री कैटेगरीज
भारत में प्रमुख तौर पर हाउसिंग सेक्टर (Home Sector) में सोलर सिस्टम की कैटेगरीज 1 से 10 किलोवॉट और कमर्शियल कैटेगरीज (Commercial Sector) में 10 से 50 किलोवॉट का है। हाउसिंग सेक्टर में भी लोग 1 से 3 किलोवॉट के सोलर सिस्टम लगवाने वाले ग्राहकों की संख्या अधिक है। इसमें प्रमुख तौर वे लोग ही सोलर सिस्टम लगवाते हैं, जिनको भविष्य और वर्तमान में इसके महत्व और इससे होने वाले आर्थिक लाभ का सटीक अनुमान है। ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है लेकिन इसकी गति काफी धीमी है।
इस बाजार के बढ़ने से ग्राहकों और रिटेलर्स, दोनों को ही फायदा होगा और सोलर सिस्टम के ग्राहक बढ़ने के साथ काफी रिटेलर भी इनकी तरफ आ रहे हैं। कमर्शियल सेक्टर में काफी कारोबारी कानूनी जरूरतों के कारण तो कई इससे होने वाले फायदों के चलते सोलर सिस्टम लगवा रहे हैं। ऑफिसिज, रिसोर्ट, स्कूल, कॉलेज, शोरूम्स, कोल्ड स्टोरेज, पेट्रोल पम्पस, होटल्स, वर्कशॉप्स, अस्पताल या स्कूल या फैक्ट्री मालिक अपनी जरूरत और क्षमता के अनुसार सोलर सिस्टम को लगवा रहे हैं। इससे उनकी बिजली के बिल से होने वाली समस्याओं का भी समाधान होता है और उनको लंबी अवधि में किए गए निवेश पर रिटर्न भी बेहतर मिलता है।
सोलर सिस्टम में इनवेस्ट पर मिलने वाला रिटर्न
कई तरह की स्टडी में ये तथ्य साबित हुआ है कि बिजनेस ओनर्स को, 3 से 4 साल में रिटर्न मिल जाता है और ऐसे में उनको लंबी अवधि में बिजली पर होने वाला खर्च काफी कम करने में मदद मिलती है और उनका लागत खर्च भी कम होता है। यहां पर सोलर सिस्टम पर आने वाले खर्च और मिलने वाले रिटर्न की गणना करना कारोबारी लिहाज से जरूरी और उपयोगी है।
इसे यू समझें, किसी भी फैक्ट्री परिसर में 10 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगवाने में करीब 5 लाख रुपए का खर्च आएगा। ये सिस्टम प्रतिमाह करीब 1100 यूनिट * 10 किलोवाट बिजली प्रदान करता है और साल में ये 13,200 यूनिट बिजली पैदा करता है। देश में बिजनेस या इंडस्ट्रियल सेक्टर के लिए बिजली की दर 11 से 13 रुपए यूनिट है। ऐसे में एक सिस्टम से 1.50 लाख से 1.70 लाख रुपए तक की बचत बिजली बिल में संभव है। इस 20 से 30 प्रतिशत के रिटर्न से बिजनेस ओनर को तीन से चार साल में अपना पूरा निवेश वापिस मिल जाएगा और उसके बाद ये सिस्टम हर साल उनको 1.50 लाख रुपए से अधिक का रिटर्न देता रहेगा।
वहीं एक घर पर लगे सोलर सिस्टम से बचत संभव है। एक किलो क्षमता के सोलर सिस्टम पर 50 हजार का खर्च आता है और प्रति वर्ष 8400 रुपए की बचत संभव है। ऐसे में अच्छा खासा रिटर्न मिलता है।
घरेलू सोलर इंडस्ट्री के सामने पेश आ रही समस्याएं
आम घर मालिकों के लिए बजट की समस्या सबसे प्रमुख हैं।
1. सोलर पर बड़ा निवेश
वे सोलर सिस्टम पर एक मुश्त निवेश से बचना चाहते हैं और ईएमआई (EMI) और सब्सिडी (Subsidy) जैसे विकल्पों की तलाश में रहते हैं। किसी ना किसी समस्या के कारण काफी इच्छुक लोग सोलर सिस्टम लगवाने से पीछे हट जाते हैं।
2. सोलर से जरूरत से ज्यादा उमीद
इसके अलावा वे सोलर सिस्टम से दोहरी अपेक्षा रखते हैं जिसमें वे चाहते हैं कि बिजली जाने के बाद भी ये सिस्टम काम करता रहे और वे अपनी मर्जी से ग्रिड से सोलर और सोलर से ग्रिड पर स्विच होते रहें।
3. नेट मीटर लगाने का समस्या
इस समस्या का समाधान नेट मीटर के तौर पर मौजूद हैं। इसमें ग्रिड से कितनी बिजली ली और सोलर प्लांट से कितनी बिजली मिली, का पूरा हिसाब-किताब रखा जा सकता है। लूम सोलर इस संबंध में हाईब्रिड सिस्टम प्रदान करने में सक्षम है जो कि ग्रिड के साथ और बैटरी के साथ, दोनों में काम करेगा और ग्राहकों की एक बड़े अपेक्षा को पूरा किया जा सकेगा।
काफी लोगों का कहना है कि वे किराए पर रहते हैं और उनको एक कील लगवाने के लिए भी प्रॉपर्टी ओनर से अनुमति लेनी पड़ती है। ऐसे में एक पूरा सोलर सिस्टम लगवाने की अनुमति मिलना पूरी तरह से असंभव है। जबकि अगर प्रॉपर्टी ओनर को भरोसे में ले लिया जाए और उसको भविष्य में होने वाले फायदों के बारे में बताया जाए तो वे भी इसको लगवाने में सहमत हो जाएंगे। वे अपने स्तर पर इसे लगवा कर किराएदारों को बिजली की सप्लाई भी कर सकते हैं।
कई सारे समाधान भी उपलब्ध
इस पूरे प्रोसेस में ये अच्छे से समझना होगा कि अगर आपका सोलर सिस्टम अच्छे से नहीं लगा है तो उसमें रिटर्न आना मुश्किल है। लूम सोलर जैसी कंपनियां सोलर सिस्टम को प्रभावी और सटीकता से लगाने का अच्छा खासा अनुभव रखते हैं और ऐसे में निवेश पर रिटर्न भी शुरुआत से ही आने लगता है।
इसके साथ ही सोलर सिस्टम की ड्यूरेबिल्टिी को भी ध्यान में रखना होगा। उदाहरण के लिए कारोबारी अक्सर 10 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगवाने के लिए कई कंपनियों से संपर्क करते हैं और सस्ते सोलर सिस्टम का विकल्प चुनते हैं। ये सिस्टम क्वालिटी से समझौता कर तैयार किए जाते हैं और ऐसे में उनसे अपेक्षाओं के अनुसार ना तो बिजली मिल पाती है और ना ही निवेश पर रिटर्न मिल पाता है। ऐसे में बेहतर और अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता वाले सोलर सिस्टम को ही पहल देनी चाहिए।
ईएमआई का विकल्प भी
कई कंपनियां सोलर सिस्टम पर फाइनेंस की सुविधा के साथ ईएमआई का विकल्प भी दे रही हैं। ऐसे में सोलर सिस्टम लगवाने वालों को एकमुश्त निवेश की समस्या से भी राहत मिल जाएगी और हर माह एक सीमित ईएमआई के साथ वे सोलर एनर्जी का उपयोग शुरू कर सकते हैं। बीते सालों में करीब 4 फीसदी ग्राहकों ने लूम सोलर से ईएमआई पर सोलर सिस्टम लगवाया है। हर महीने ईएमआई विकल्प के साथ सोलर सिस्टम लगवाने वाले ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है।
एक समस्या सोलर सिस्टम्स के लिए कोई स्थापित ब्रांड का ना होना है, जिसे ग्राहक आसानी से खरीद सकें। ऐसे में ग्राहक को रिसर्च सिस्टम के विभिन्न पहलुओं की रिसर्च करनी होगी। जिनमें सिस्टम में लगने वाले पैनल्स से लेकर बैटरी तक की क्वालिटी को देखना शामिल है। इस संबंध में ग्राहक जितना सतर्क रहेगा, उसको उतना ही बेहतर सिस्टम मिलेगा और बिजली भी उसी स्तर पर अधिक मिलेगी। बेहतर सिस्टम की ड्यूरेबिलिटी भी बेहतर रहेगी।
बिजनेस ओनर्स के लिए कुछ उपयोगी समाधान
अगर बिजनेस ओनर्स को सोलर सिस्टम लगाने के लिए जगह की कमी है तो वे पैनल्स को दीवार पर भी टांग सकते हैं। लूम सोलर जगह की उपलब्धता के अनुसार ऐसे अलग अलग समाधान देने में सक्षम हैं, जिसमें सोलर पैनल्स को अलग अलग जगह पर लगाया जा सकता है। जिससे उनकी सुरक्षा का स्तर भी बना रहता है।
इस बारे में सावधानी रखना इसलिए भी जरूरी है कि किसी भी आंधी तूफान आदि में सोलर पैनल उखड़ गए और वे किसी पर गिर गए तो दोहरा नुक्सान हो सकता है। पैनल टूटेगा और घायल होने वाला व्यक्ति अलग से मुआवजा मांगेगा। ऐसे में जान और माल की अधिक सुरक्षा के लिए पैनल लगाने में काफी अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता रहती है।
सोलर सिस्टम में किए गए निवेश पर बेहतर रिटर्न के लिए सोलर सिस्टम के सभी पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है। ग्राहक को सिस्टम की गुणवत्ता के साथ ही उसके रखरखाव पर भी उतना ही अधिक ध्यान देने की जरूरत है। समय-समय पर उनका निरीक्षण करवाना भी जरूरी है ताकि किसी भी खराबी को शुरुआत में ही काबू किया जा सके। ऐसे में रखरखाव पर काफी कम खर्च आएगा और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न भी मिलेगा।
सोलर सिस्टम लगवाने से पहले किसी तकनीकी विशेषज्ञ से सलाह जरूर करें। उसको साइट दिखाने के साथ ही अपनी बिजली की जरूरत के बारे में भी बताए। ऐसे में आप अपनी जरूरत के अनुसार उतनी ही क्षमता का सोलर सिस्टम लगवा सकते हैं। कई बार ग्राहक अपनी जरूरत से अधिक या कम का सोलर सिस्टम लगवा लेका है। दोनों ही परिस्थितियों में नुकसान सिर्फ उसी का होता है। जरूरत से अधिक क्षमता का सोलर सिस्टम लगवाने पर उसका खर्च या निवेश अधिक हो जाता है और बचत कम होती है। वहीं जरूरत से कम क्षमता का सोलर सिस्टम लगवाने पर ना तो बिजली की जरूरत पूरी होती है और ना ही किए गए निवेश पर सही रिटर्न मिल पाता है। किए गए फैसले पर गुस्सा अलग से आता रहता है।
अंत में
ऐसे में अपने घर या कारोबारी जगह पर सोलर सिस्टम लगवाने के लिए निवेश करते समय रिटर्न, जोखिम, समय, आत्मविश्वास का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्योंकि इन सभी पहलुओं पर ध्यान देने से ही आपका सोलर सिस्टम बेहतर लगेगा और बेहतर उत्पादन करेगा। भारत में बीमा, एफडी, प्रॉपर्टी, बिजनेस के मुकाबले निवेश के लिहाज से लोग सोलर सिस्टम को काफी कम संख्या में निवेश पर्पज के तौर पर देख रहे हैं। पर, आने वाले समय में जब देश में बिजली का मीटर प्रीपेड होगा तो लोग सोलर सिस्टम को भी निवेश के तौर पर देखने लगेंगे। इस बदलाव में अब अधिक समय नहीं लगेगा। आने वाला भविष्य सोलर सिस्टम और इससे पैदा होने वाली बिजली का ही है।
Read Also in English: Is Solar A Viable Investment Option?
3 comments
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