आज के दौर में पेट्रोल पम्प एक बड़ा बिजनेस मॉडल है और इसका दायरा शहरों के साथ-साथ ग्रामीण सेमी अर्बन एरिया में भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। लेकिन, जैसे-जैसे ये शहर से दूर होते जाते हैं, उनके लिए बिजली की पहुँच दूर होती जाती है।
क्योंकि, आज ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती की समस्या काफी गंभीर है और पेट्रोल पम्प चलाना एक ऐसा बिजनेस है, जहाँ बिजली में एक मिनट की कटौती भी मालिकों के लिए काफी महंगा साबित हो सकता है।
इसलिए किसी भी सूरत में, पेट्रोल पम्प में एक क्षण के लिए भी बिजली जानी नहीं चाहिए। कुछ लोग अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए जनरेटर की व्यवस्था करते हैं, जो उनके लिए काफी खर्चीला साबित होता है। लेकिन यदि वे सोलर सिस्टम में एक बार निवेश कर दें, तो उन्हें सालों-साल के लिए फ्री और निर्बाध बिजली मिलती रहेगी और वे अपने बिजनेस को आगे बढ़ाते रहेंगे।
कितनी बिजली की होती है जरूरत?
किसी भी पेट्रोल पम्प पर दो से चार नोजल, बिलिंग के लिए एक कम्प्यूटर, लाइट, पंखा, सीसीटीवी कैमरा, पानी के लिए मोटर और 2-3 हैलोजन बल्ब की जरूरत पड़ती है। वहीं, ग्रामीण इलाकों के पेट्रोल पम्प पर अभी एसी का चलन नहीं है, तो लोगों को इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ग्राहकों को इतना लोड चलाने के लिए करीब 7.5 किलोवाट बिजली की जरूरत होगी। कुछ समय पहले यदि किसी को इतनी बिजली की जरूरत पड़ती थी, तो उन्हें कम से कम 14 किलोवाट सोलर सिस्टम का इंतजाम करना पड़ता था।
लेकिन अब, सोलर टेक्नोलॉजी काफी एडवांस हो गई है और यदि वे 10 किलोवाट का सोलर सिस्टम अपने पेट्रोल पम्प पर लगा लेंगे, तो उनकी बिजली की सभी जरूरतें पूरी हो जाएगी।
कैसे लोग दें प्राथमिकता
पेट्रोल पंप पर सोलर सिस्टम लगाने के लिए, ऑयल कंपनियां खुद भी टेंडर निकालती हैं। इसके तहत जो सोलर कंपनियां आवेदन करती है, वही वहाँ पर सोलर सिस्टम लगा सकते हैं।
वहीं, इसका दूसरा तरीका यह है कि कई लोग व्यक्तिगत स्तर पर भी अपने पेट्रोल पम्प पर सोलर सिस्टम लगवाते हैं। यह लेख वैसे ही लोगों के मदद के लिए है, जो खुद ही सोलर सिस्टम लगवाना चाहते हैं।
कितना होता है खर्च?
यदि ग्रामीण इलाके का कोई पेट्रोल पम्प 10 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगा लेता है, तो वह बिजली के मामले में सालोंसाल के लिए आत्मनिर्भर हो जाएगा। चूंकि, ऐसे इलाकों में पेट्रोल पंप अमूमन सुबह से रात के 10 बजे तक ही खुले रहते हैं। इस वजह से उन्हें पावर बैकअप के लिए ज्यादा बैटरी की जरूरत नहीं पड़ती है।
यदि आप अपने पेट्रोल पंप पर 10 किलोवाट का सोलर पैनल लगाते हैं, तो इसे लगाने में उन्हें करीब 12 लाख से 14 लाख रुपये का खर्च आएगा। लेकिन, यदि कोई एक बार इतना निवेश कर दे, तो बिजली हो या न हो, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
कौन सा सोलर पैनल लें?
यदि आप लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से लैस सोलर पैनल चाहते हैं, तो आप लूम सोलर के Bi Facial सोलर पैनल को चुनें। क्योंकि यह दोनों साइड से बिजली बनाता है, जिस वजह से यह कम जगह में अधिक बिजली का उत्पादन करता है।
इस सोलर पैनल को काफी ऊंचाई पर लगानी पड़ती है। यदि आप स्ट्रक्चर पर ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते हैं, तो आप Shark Solar Panel को खरीद सकते हैं, जो कम धूप में भी पूरी बिजली बनाती है।
कौन सी बैटरी लें?
आपकी बैटरी की तलाश लूम सोलर के CAML 100 मॉडल से पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। यह लिथियम ऑयन बैटरी चार बैटरी के बराबर अकेले है और इसे कोई रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती है।
साथ ही यह बैटरी IOT पर आधारित है, जिसे आप अपने मोबाइल या कम्प्यूटर से कहीं से भी कंट्रोल कर सकते हैं।
कौन सा लें इन्वर्टर?
आप इन्वर्टर के तौर पर लूम सोलर के Fusion Inverter को लें। यह इन्वर्टर देश की एकमात्र इन्वर्टर है, जो 100 प्रतिशत एफिशिएंट है। यह बैटरी को सिर्फ डेढ़ घंटे में चार्ज कर देता है। इस इन्वर्टर में ऑटोमेटिक प्रोफाइल सेटिंग का विकल्प होता है, जिससे आपकी जिंदगी काफी आसान हो जाती है।
निष्कर्ष
यदि आप अपने पेट्रोल पम्प पर सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं और खुद को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, तो एक एक्सपर्ट गाइड के लिए हमसे संपर्क करें। हमारे इंजीनियर आपकी साइट पर जाएंगे और आपको आगे की राह दिखाएंगे।