सूर्य से मिलने वाली एनर्जी बिजली बनाने का सबसे सस्ता तरीका बन गयी है। घरों की छतों पर लगे सोलर पैनल सूरज की किरणों को ऊर्जा में बदलते है लेकिन यह बनाते कैसे हैं। सोलर पैनल का इस्तेमाल सबसे पहले सन 1954 में अमेरिका में हुआ था।
सोलर सेल कैसे बनता है?
Crystalline silicon के पतले से वेफ़र के साथ सबसे पहले मशीन चेक करती है कि वेफ़र कहीं से टूटा तो नहीं है, इसके बाद इसपर धातु की महीन रेखाएं प्रिंट की जाती है इसके लिए चांदी और एल्युमिनियम का इस्तेमाल होता है। इस तकनीक को स्क्रीन प्रिंटिंग कहते है। आखिरी चरण में वेफ़र को 700°C के तापमान से गुजरना पड़ता है।सिलिकन वेफ़र अब सोलर सेल में तब्दील हो चुके है।प्रिंटिंग के बाद भी टेस्ट जारी रहते है। माइक्रोस्कोप के नीचे धातु की रेखाओं को परखा जाता है। इनके आकार स्टिक होना बेहद जरुरी है।
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mukesh baria
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