रात में भी काम करेंगे Solar Panel, जानिए कैसे!

आज पूरी दुनिया में बिजली कटौती और इसके महंगे होने के कारण सोलर पैनल का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। सोलर पैनल के इस्तेमाल से पर्यावरण संरक्षण को भी नई मजबूती मिल रही है।सोलर पैनल का सीधा अर्थ हम धूप से बिजली बनाने वाले पैनल से समझ लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी रात में बिजली बनाने वाले सोलर पैनल के बारे में सुना है? तो जाहिर है आपका जवाब होगा - नहीं और आप एक सोच में पड़ जाएंगे कि ऐसा कैसे संभव हो सकता है। लेकिन आज सोलर टेक्नोलॉजी काफी उन्नत हो चुकी है और यह संभव है। आज बाजार में ऐसे सोलर पैनल मौजूद हैं, जिससे रात के समय में बिजली बनाई जा सकती है और उसके लिए धूप की भी जरूरत नहीं है।

जानिए कैसे?

आज बाजार में जितने भी सोलर पैनल मिलते हैं, कुछ चुनिंदा कंपनियों को छोड़ कर अधिकांश पैनलों की एफिशिएंसी रेट 15 से 20 फीसदी तक होती है।इसका मतलब यह है कि सोलर पैनल पर जितनी धूप पड़ती है, उसका 15 से 20 फीसदी ही बिजली में कन्वर्टर हो रहा है। हालांकि, थ्योरीटिकली यह वैल्यू करीब 40 फीसदी होती है।

भारत में अपार संभावनाएं

भारत में सोलर एनर्जी को लेकर अपार संभावनाएं हैं। क्योंकि यह केन्द्र सरकार द्वारा सोलर एनर्जी के व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए, 2030 तक करीब 450 गीगा वाट के सोलर इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और 2035 तक इसके इस्तेमाल को 7 गुना बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है।

लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या इन पैनलों से रात में भी बिजली का निर्माण हो सकता है? तो इसका जवाब है कि यदि सरकार थोड़ी सी तत्परता दिखाए तो यह बिल्कुल संभव है।

क्या होंगे फायदे?

एक केस स्टडी के तौर पर हम अमेरिका स्थित कैलिफोर्निया के एक पावर प्रोजेक्ट को लेते हैं।दरअसल, यहाँ 330 मेगा वाट के एक विंड पावर प्रोजेक्ट को स्थापित किया गया है। इस प्रोजेक्ट में बिजली को स्टोर करने के लिए बड़े पैमाने पर लिथियम ऑयन बैटरी का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही, इसके लिए जगह की भी काफी जरूरत हुई।

इससे साफ है कि इन संसाधनों को पूरा करने के लिए कई बड़े मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की जरूरत पड़ी होगी और कार्बन डाइऑक्सइड का उत्सर्जन भी बड़े पैमाने पर हुआ होगा।लेकिन यदि हम सोलर पैनल को ही इम्प्रूव कर दें, तो हमें इस इंडस्ट्री में कार्बन फूट प्रिंट को कम करने में काफी मदद मिल सकती है।

जैसे -

  1. सोलर पैनल के साइज को कम करना
  2. उसकी एफिशिएंसी रेट को बढ़ाना
  3. ऐसा सोलर पैनल बनाना, जो रात में भी बिजली का आसानी से उत्पादन करे और हमारी जरूरतें आसानी से पूरी होती रहे

कैसे होगा सक्षम? 

यूके स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ वेल्स के शोधकर्ताओं द्वारा इस विषय को लेकर एक शोध किया जा रहा है। इस शोध के तहत, यदि हम खुद को सूर्य के धूप से एक कदम आगे बढ़ाते हुए देखते हैं और इन्फ्रारेड की तरफ बढ़ते हैं, तो हम पाते हैं कि हर वैसी चीज जो गर्म होती है, उससे एक इन्फ्रारेड रेडिएशन निकलती है।

यदि हमारा सोलर पैनल इन रेडिएशन को ऑब्जर्व कर ले, तो इससे भी बिजली आसानी से बनाई जा सकती है।बता दें कि इन पैनलों में एक थर्मोरेडिएक्टिव डायोड का इस्तेमाल किया जाता है, जो इन्फ्रारेड किरणों को कैप्चर कर लेते हैं और उससे बिजली का उत्पादन करते हैं। और इसके लिए धूप की कोई जरूरत नहीं होती है। इसकी एक और खासियत यह है कि यदि आसमान में बादल भी हों, तो भी इससे बिजली आसानी से बनती रहेगी।

मल्टीलेयर पैनल्स

इनमें मल्टीलेयर पैनल लगे होते हैं। ताकि ये धूप से भी बिजली बनाएं और उसके बिना इन्फ्रारेड रेडिएशन से भी। यदि कोई पैनल इन्फ्रारेड रेडिएशन का इस्तेमाल करते हुए, रात में भी बिजली बनाने में सक्षम है, तो इससे सोलर पैनल की दक्षता करीब 1.8 फीसदी बढ़ जाएगी। 

यानी यदि किसी पैनल से अभी 1 किलोवाट बिजली का उत्पादन हो रहा है, तो इन्फ्रारेड रेडिएशन पैनल का इस्तेमाल करने के बाद, उससे करीब 1.18 किलोवाट बिजली का उत्पादन होगा और आपको कभी बिजली की दिक्कत नहीं होगी। साथ ही, आपकी बैटरी और बिजली पर भी निर्भरता कम होगी।

कहाँ लगाएं पैनल?

चूंकि, ये पैनल्स गर्मी को कैप्चर कर उससे बिजली बनाते हैं, तो इन पैनलों को वैसे स्थानों पर लगाना सबसे अच्छा होगा अच्छा कोई मशीन आदि लगी हो और वो जगह अधिक गर्म रहती हो। इससे मशीन का हीट लॉस भी कम होगा और उसकी क्षमता बढ़ेगी।

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Sonu ram

Sonu ram

Multilayer finance multi layers panel

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